सामाजिक समारोह में इस प्रकार की झड़प और हिंसा जौनपुर-जौनसार में आम बात है और यही वजह है कि समय-समय पर यहाँ पर 10-15 गाँव मिलकर शादी-विवाह में शराब और DJ को प्रतिबंधित करते आए हैं लेकिन ऐसे में किसी व्यक्ति की मृत्यु होना बेहद चौंकाने वाला प्रकरण है।
बृहस्पतिवार (अप्रैल 19, 2019) को रेलवे स्टेशन अधीक्षक एसके वर्मा के घर डाक से एक पत्र पहुँचा। उनकी पत्नी ने पत्र खोलकर पढ़ा तो उनके होश उड़ गए। उन्होंने स्टेशन अधीक्षक को सूचना दी तो वे घर पहुँचे। जब उन्होंने पत्र पढ़ा तो उसमें लश्कर-ए-मोहम्मद के एरिया कमांडर मैसूर अहमद के नाम का जिक्र था।
अनुरोध पंवार अपनी कार में पैसे ले जा रहा था, उसे 4 अप्रैल की रात को पुलिसकर्मियों के एक समूह ने रोका। चुनाव उद्देश्यों के लिए कालेधन की तलाशी के नाम पर तीनों पुलिसकर्मियों ने पंवार का बैग जब्त कर लिया। पुलिसकर्मियों ने पंवार को धमकाया और उसे वहाँ से भाग जाने के लिए कहा।
उत्तराखंड के घने जंगल में एक गाय भटक गई थी और पानी न मिलने के कारण चलने में असमर्थ हो चुकी थी। गाय को जंगल में ऐसे हालात में देखकर उत्तराखंड के इस नौजवान ने उसको अपने कंधे पर उठाया और काफी दूर पैदल चल कर इसे पानी के स्रोत तक पहुँचा कर गाय की जान बचाई।
नेशनल एसोसिएशन फॉर पेरेन्ट्स एंड स्टूडेन्ट्स राइट्स (NAPSR) के सदस्यों ने देहरादून के जिलाधिकारी से मुलाकात कर स्कूल की मान्यता रद्द करने की माँग की है। NAPSR ने माँग की है कि स्कूल की जाँच कर वैधानिक तरीके से कार्रवाई की जाए।
10 मार्च को सभी बच्चे चर्च गए हुए थे, जब इस हत्या को अंजाम दिया गया। अकादमी संचालक स्टीफेन पर अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की गई है, जिस से पुलिस की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए जा रहे हैं। स्कूल और डॉक्टरों ने शुरुआत में इसे फ़ूड पॉइज़निंग का मामला बता कर रफ़ा-दफ़ा करने की कोशिश की।
अपने समय में इंदिरा गाँधी का रुतबा ऐसा थी कि बड़े-बड़े नेता भी उनसे आँख मिलाकर बात करने में घबराते थे। लेकिन भक्तदर्शन पहाड़ी थे, अपनी 'चौड़ाई' में रहते थे। 71 लोकसभा चुनाव में इंदिरा को जीत चाहिए थी लेकिन अपने आदर्शों के कारण भक्तदर्शन ने अपने प्रधानमंत्री को दो टूक शब्दों में कहा...
बच्चे चैत्र मास के पहले दिन से बुराँस, फ्योंली, सरसों, कठफ्योंली, आड़ू, खुबानी, भिटौर, गुलाब आदि फूलों को तोड़कर घर लाते हैं, और घर-घर जाकर "फूलदेई-फूल देई छम्मा देई दैणी द्वार भर भकार यो देई सौं बारंबार नमस्कार" कहकर घरों और मंदिरों की देहरी पर फूल बिखरते हैं।
पांडवों के अज्ञातवास काल में युधिष्ठिर ने लाखामंडल स्थित लाक्षेश्वर मंदिर के प्रांगण में जिस शिवलिंग की स्थापना की थी, वह आज भी विद्यमान है। इसी लिंग के सामने दो द्वारपालों की मूर्तियाँ हैं, जो पश्चिम की ओर मुँह करके खड़े हैं।