जज ने अपने आदेश में कहा कि कुछ “आरोपित किसी पार्टी से जुड़े हो सकते हैं, लेकिन उन्हें कानून और व्यवस्था अपने हाथ में लेने की अनुमति नहीं दी जा सकती और न ही कानून में ऐसा कोई प्रावधान है।”
लालकृष्ण आडवाणी ने ये रथयात्रा सिर्फ राम मंदिर के लिए नहीं निकाली थी, बल्कि इसका उद्देश्य था देश की सांस्कृतिक पहचान को पुनः पुष्ट करना। उनका सीधा कहना था - राम के मुकाबले बाबर को खड़ा करने का प्रयास गलत है।
ईडी ने जब्ती नोट में इसका जिक्र किया है कि संजीव कुमार लाल ने पूछताछ में स्वीकारा था कि कुल टेंडर का तीन से चार प्रतिशत राशि वसूला जाता था। इसमें वह मंत्री के शेयर के रूप में 1.35 प्रतिशत राशि वसूलते थे।