इसी तरह छात्र संघ की वर्तमान अध्यक्ष कॉमरेड आइशी घोष और पूर्व अध्यक्ष गीता कुमारी का भी वीडियो वायरल हुआ। वीडियो में दोनों को नकाबपोश गुंडों के साथ देखा जा सकता है। इन्हीं वामपंथी गुंडों ने आतंक मचाया। फिलहाल आप कॉमरेड चुनचुन के वीडियो को देखिए।
इन घटनाओं में एक वर्ग तो वह होता है जो सुनियोजित ढंग से शामिल होता है और एक वर्ग वह होता है जो कि जाने-अनजाने में घटनाओं में शामिल तो हो जाता है लेकिन इसके बाद कानूनी कार्यवाई में फँसने के बाद वह अपने आप को निर्दोष बताते हुए पहले तो दर-दर की ठोकरें खाता है और फ़िर अपनी ही आँखों से अपने भविष्य को चौपट होते हुए भी देखता है।
सोचिए उस एसिड अटैक विक्टिम के बारे में अब। सोचिए कि दीपिका के एक गलत कदम (विषय के लिए गलत, फिल्म के लिए मास्टरस्ट्रोक) से उन तमाम लोगों को कैसा लग रहा होगा जिसने इस विषय को ले कर उम्मीद बनाई थी। ये एक राजनैतिक विषय नहीं है। ये घोर सामाजिक विषय है।
जब कॉन्ग्रेस नेता प्रियंका गाँधी वाड्रा घायल छात्रों से मिलने एम्स गईं थी, तो उनके समर्थकों ने सबसे पहले घायल छात्रों से यही पूछा कि उनका संबंध किस विचारधारा से है। एबीवीपी के कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि प्रियंका गाँधी ने कुछ छात्रों को शॉल दी, लेकिन बाद में उनके कार्यकर्ताओं ने शॉल वापस ले ली।
मीना ने 7 जुलाई, 2018 को गुरुग्राम पुलिस स्टेशन में एक FIR दर्ज करवाया था। इसमें कहा गया था कि पीटर ने अपनी शादी के बारे में उससे झूठ बोला था और फिर उसके साथ शारीरिक संबंध बनाए थे। मीना ने आरोप लगाया कि पीटर ने शादी का वादा करके उसके साथ असुरक्षित यौन संबंध बनाए थे।
अवॉर्ड वापसी गैंग के मार्गदर्शक मंडल में शामिल मुनव्वर राना को ख़ूब पता है कि दस्तारें बनाने वाले अब पत्थर चलाने लगे हैं। राना अब 'माँ' को छोड़ कर 'मर्दानगी' जाँचने पर उतर आए हैं। उनके अंदर का 'मुसलमान' बिलबिला रहा है। उनका लॉजिक है- मुस्लिम ज़्यादा वफ़ादार हैं क्योंकि उन्हें दफनाया जाता है।
जेएनयू हिंसा को अंजाम देने की वास्तविक बातचीत का दिखावा तो खुद करते हैं और दोष ABVP पर डालते हैं। निश्चित रूप से इस हिंसा से एबीवीपी को तो कोई फायदा नहीं है। किसको है ये आप सभी को पता है? कौन है जो देश में अराजकता, हिंसा और दंगे की स्थिति पैदा करना चाहता है? अब देखना यह होगा कि भारत में अराजकता पैदा करने के लिए कॉन्ग्रेस और वामपंथियों का यह इकोसिस्टम कितनी दूर तक जाएगा?
दिल्ली पुलिस ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय प्रशासन की ओर से शिकायत मिलने के बाद 2 एफआईआर दर्ज की हैं। इन एफआईआर में जेएनयू छात्र संघ प्रेसिडेंट आइशी घोष के साथ ही 19 अन्य छात्रों के नाम शामिल हैं। पुलिस जल्द ही इन छात्रों को पूछताछ के लिए बुलाएगी।
गीता कुमारी और आइशी घोष- इन दो नामों को याद रखिए। महिला होकर इन दोनों के नकाबपोश गुंडों ने महिलाओं के साथ बदतमीजी की। यही वामपंथी महिलाधिकार का झंडा लेकर कैंडल मार्च निकालते हैं। जेएनयू हिंसा में दोनों वामपंथियों का अहम रोल दिख रहा है।
पुलिस को पूरे मामले पर जानकारी दी गई। लेकिन पुलिस के घटनास्थल पर पहुँचने से पहले ही ये छात्रों का समूह अपना उत्पात मचा चुका था। कई शांत छात्रों को उनके कमरों में घुसकर मारा गया था और कई शिक्षकों पर भी हमले हुए थे। सुरक्षाकर्मियों के भी इस हमले में घायल होने की खबर है।