"कई लोग ऐसी अफवाहें फैला रहे हैं कि मुस्लिमों को हिंदुस्ताान से बाहर भेजा जा रहा है। हमें यह समझने की ज़रूरत है कि इस कानून में नागरिकता देने की बात हो रही है, लेने की नहीं।"
"उपद्रवियों में दो तरह के लोग हैं। एक वो जिनकी राजनीति दशकों तक झूठ फैलाने पर ही टिकी हुई है। दूसरे वो लोग जो समझते थे कि वो ही सरकार हैं और वो जो इतिहास बताएँगे, वही सच माना जाएगा। ख़ुद को भारत भाग्य विधाता मानने वालों ने अब बाँटो और राज़ करो वाली नीति पर काम करना शुरू कर दिया है।"
"अगर आपको मोदी पसंद नहीं है तो मोदी को गाली दो, मोदी का पुतला जलाओ, जूते मारो लेकिन देश की सम्पत्ति मत जलाओ। मेरे दोबारा जीत कर आने के बाद का सदमा कुछ लोग अभी भी सहन नहीं कर पा रहे और देश में तूफ़ान खड़ा करने के लिए..."
जैसे ही पीएम मोदी ने कहा कि दलितों और शोषितों के लिए नागरिकता संशोधन क़ानून लाया गया है, वैसे ही लोगों ने खड़े होकर 'जय श्री राम' का नारा लगा कर सीएए का स्वागत किया। पूरा रामलीला मैदान 'जय श्री राम' के नारों से गूँज उठा।
जामिया की कुलपति पहले ही इस बात का ऐलान कर चुकी हैं कि प्रदर्शन के दौरान घायल छात्रों के इलाज का खर्चा विश्वविद्यालय उठाएगा, लेकिन उसके बाद भी अमानतुल्लाह की ओर से मिन्हाजुद्दीन को मदद पहुँचाना केजरीवाल सरकार की नीयत पर सवाल खड़ा कर रहा है। सोशल मीडिया पर इस ऐलान के बाद...
हाई कोर्ट ने अदालत परिसर में नारेबाजी के प्रकरण की जाँच के लिए एक समिति बनाने का निर्देश दिया है। समिति गहराई से जाँच के बाद दोषी वकीलों के खिलाफ कार्रवाई पर उचित दिशा-निर्देश देगी।
बम फटने के कारण रईस के हाथ में काफी गंभीर चोट आई है, इसलिए पुलिस की ओर से उसे अभी कुछ नहीं कहा गया है। पुलिस का कहना है कि रईस को फिलहाल ईलाज मुहैया करवाया जा रहा है और ईलाज के बाद उस पर एक्शन लिया जाएगा।
संशोधित नागरिकता क़ानून के ख़िलाफ़ विरोध प्रदर्शन के नाम पर मजहबी उन्माद फैलाने की साज़िश रची जा रही है। यहाँ तक कि मस्जिदों से घोषणा की गई ताकि उपद्रवी सड़क पर उतर कर हिंसा करें। इन घोषणाओं का परिणाम क्या हुआ, ये दिल्ली ने भुगता और पूरे देश ने देखा। खुद एक प्रदर्शनकारी ने...
डीयू के छात्रों को उम्मीद है कि जो वामपंथी दिन-रात 'आज़ादी' के नारे लगाते हैं और 'आज़ादी' की माँग कर रहे हैं, वो 'आज़ादी' उन्हें मुफ्त में मिल रही है तो वो ज़रूर आकर ले जाएँगे। ऑपइंडिया को मिली ताज़ा सूचना के अनुसार, अभी तक एक भी वामपंथी 'आज़ादी' लेने नहीं पहुँचा।
योगेश्वर दत्त ने जामिया मिलिया यूनिवर्सिटी व उसके छात्रों को भी आड़े हाथों लिया। उन्होंने आरोप लगाया कि जिस यूनिवर्सिटी में मजहब के आधार पर आरक्षण दिया जाता है, वही यूनिवर्सिटी अब सेकुलरिज्म के लिए लड़ने का दावा कर रही है। दत्त ने इसे दोहरा रवैया करार दिया।