उच्च सदन में ममता बनर्जी की तृणमूल में 13 सदस्य हैं। समाजवादी पार्टी में 9 हैं, डीएमके के पास 5, RJD और बसपा दोनों के पास 4-4 सांसद हैं, और अन्य छोटे दलों को मिलाकर यह संख्या 100 तक पहुँच रही है। ऐसे में BJP के पास...
CAB पास होने के बाद बांग्लादेश, अफ़ग़ानिस्तान और पाकिस्तान से आए हिन्दू, सिख, बौद्ध, जैन और पारसी समुदाय के शरणार्थियों को 'अवैध इमिग्रेंट' नहीं माना जाएगा। उन्हें भारत का नागरिक बनाने का मार्ग प्रशस्त हो जाएगा।
शिवसेना ने 'सामना' के जरिए पूछा कि क्या भारत में पहले से समस्याओं की कमी थी जो CAB के रूप में एक नई समस्या खड़ी कर दी गई है? शिवसेना ने दावा किया कि उत्तर-पूर्वी राज्यों के अलावा बिहार में भी इस विधेयक का विरोध हो रहा है, जहाँ भाजपा सत्ता में है।
तवलीन सिंह का दावा है कि नागरिकता संशोधन विधेयक के माध्यम से मुस्लिमों को निशाना बनाया जा रहा है। लेखों में वह जिस भाषा का उपयोग करती है, उससे यह जानना मुश्किल हो जाता है कि वह CAB की बात कर रही हैं या फिर NRC की। शायद उसके हिसाब से दोनों एक ही मुद्दा है......
ममता ने मालदा में महिला को जलाकर मारे जाने की घटना की पुष्टि की है। इस मामले का जब लोकसभा में स्मृति ईरानी ने जिक्र किया था तो टीएमसी के सांसद हंगामा करने लगे थे।
हिन्दू कहीं भी हो, कट्टर नहीं है। वो सामाजिक अपराध कर सकता है, धार्मिक आतंकवादी नहीं बनता। लेकिन, बांग्लादेशी यहाँ दीमक की तरह फैल रहे हैं, और समाज को खोखला कर रहे हैं। इन्हें बाहर फेंकना समय की माँग है, इसलिए इन्हें नागरिकता देने का तो सवाल ही नहीं उठता।
हर भारतीय को भारत के नजरिए से बने वैध नक्शे को देखने की जरूरत है न कि पाकिस्तान-चीन के प्रोपेगेंडा वाले नक्शे को ध्यान में रख कर राजनीति करने की! लेकिन PFI तो इस्लामिक संगठन है, उसे तो पाकिस्तान में सब कुछ 'पाक' दिखता है इसलिए POK भी पाकिस्तान में मिला देना चाहता है।
हिन्दुओं की जैसे दुर्दशा सेक्युलर सरकार ने कर रखी है, उसमें हिन्दुओं को 'सेक्युलरिज़्म' की दुहाई वैसे ही है, जैसे नाज़ी यातना शिविर में पड़े यहूदी से प्रार्थना कि वह अपने शोषकों को जिलाए रखने के लिए कुछ कर दे।
सोशल मीडिया पर बहुत से लोगों ने इसका स्वागत किया है। इस अधिनियम को शरणार्थी हिन्दुओं के लिए बड़ी राहत बताया है। वहीं लिबरल गिरोह ने भी अपनी रुदाली शुरू कर दी है। कॉन्ग्रेस नेता और तिरुवनंतपुरम से सांसद शशि थरूर ने इसे लोकतंत्र के ही खिलाफ बता दिया है।
"मेरे दस्तावेज़ों को 2000 में मेरी माँ द्वारा दायर किया गया था। उन्होंने भारत में कई वर्षों तक मेरी परवरिश एकल माँ के रूप में की। मेरे माता-पिता की शादी नहीं हुई थी। कोई भी सभ्य सरकार जो प्रतिशोध नहीं लेना चाहती थी, वो आगे आ सकती थी और लापता दस्तावेज़ों या किसी विसंगति के बारे में स्पष्टीकरण माँग सकती थी।"