श्रीनगर के हाजी बाग कैंप, सोम्यार मंदिर, इस्लामियां कॉलेज, छोटा बाजार समेत 9 इलाकों में अराजक तत्वों द्वारा पत्थरबाजी की गई है। जबकि कुछ अन्य इलाकों में लोगों के सड़कों पर उतर आने और पाबंदियों का विरोध करते हुए प्रदर्शन किए गए।
सेना के मुताबिक 83% स्थानीय आतंकियों का पत्थरबाजी का ही इतिहास होता है। इसलिए, अगर वो आज वो अपने बच्चों को नहीं नहीं रोकते तो साल भीतर उन्हें मरना पड़ेगा।
काँवड़ियों की सुरक्षा में आए पुलिस इंस्पेक्टर की वर्दी पर लगे स्टार को नोचने का प्रयास किया गया। पुलिस वालों के साथ गाली-गलौच की गई, उन्हें डंडा लेकर दौड़ाया गया। लेकिन पुलिस ने अपनी समझदारी से तकरीबन 500 से भी ज्यादा महिला और बच्चियों को निकालकर सुरक्षित पहुँचाया।
दिन में 5 बार लाउडस्पीकर से अजान देने वालों को मंदिर में 2 बार भजन बजाने से आपत्ति कैसे हो जाती है? ये किस तरह की सोच है कि तुम्हारे लाउडस्पीकर से आती आवाज़ इलाके का हर कान, चाहे या न चाहे सुनेगा ही, लेकिन दूसरे समुदाय ने भजन बजाया तो तुम मंदिर में घुस कर मूर्ति उखाड़ कर ले जाते हो!
2018 में सुरक्षाबलों ने कुल 257 आतंकी मारे। इनमें 146 कश्मीरी थे, जबकि 111 आतंकी दूसरे मुल्क के थे। जबकि 2016 और 2017 में ये आँकड़े उलटे देखने को मिले थे। इन वर्षों में सुरक्षाबल द्वारा दूसरे मुल्कों के आतंकी ज्यादा मारे गए थे और स्थानीय कम।
एनआईए ने कोर्ट के सामने कहा था कि कश्मीर घाटी में पत्थरबाजी के मामलों में तीनों से पूछताछ जरूरी है। इसके बाद कोर्ट ने पत्थरबाजी के मामले में तीनों की गिरफ्तारी की इजाजत दे दी।
पास के ही सरकारी स्कूल के एक सुरक्षा गार्ड ने आकर भीड़ को तितर-बितर किया। इसके बाद उन्होंने पुलिस अधिकारियों को बुलाया जिन्होंने बच्चों को अस्पताल पहुँचाया।
सुरक्षाबलों के मानवाधिकार संबंधी याचिका पर केंद्र सरकार, रक्षा मंत्रालय, जम्मू-कश्मीर सरकार और राष्ट्रीय मानवाधिकार आयोग (NHRC) को नोटिस जारी किया गया।
इस समय कश्मीर से बाहर रह रहे छात्र और आम लोग ट्विटर हैंडल @CRPFmadadgaar पर संपर्क कर सकते हैं। बस इतना याद रखें कि ये वही CRPF है, जिसके जवानों पर कश्मीर में आए दिन पत्थरबाजी होती है।