हम उनके न्यूजीलैंड हमले पर दुख जाहिर करने पर सवाल नहीं उठा रहे। उठाएँगे भी क्यों? हम तो जानना चाहते हैं कि पुलवामा पर उनके चुप रहने के क्या कारण हैं? 'कर्मभूमि' की रक्षा पर तैनात सैनिकों पर हुए हमले से जिनका दिल नहीं पसीज़ा वो न्यूजीलैंड हमले पर एकदम से भावुक हो उठे! कैसे?
ब्रिटिश राज के दौरान ग़रीब हिन्दुओं को ईसाई बनाया गया था। आज उन्हें पाकिस्तान के चर्चों, घरों व स्कूलों में मारा जा रहा है। उनके पक्ष में बोलने वाले मंत्री व गवर्नरों तक की हत्या कर दी जाती है। समझें ईशनिंदा क़ानून का व्यापक और कुटिल कुचक्र।
एक ऐसा व्यापारी जिसके बारे में 1990 में ही सरकार को पता चल गया था कि वह आतंकियों का वित्तीय पोषण करता है लेकिन उसे बार-बार गिरफ़्तार कर के छोड़ दिया गया। आज 30 वर्षों बाद वही घाव अब नासूर बन चुका है।
नियंत्रण रेखा पर पाकिस्तान की ओर से हो रही भारी फायरिंग के बाद भारतीय सेना ने बोफोर्स 155 मिलीमीटर गन को वहाँ तैनात किया था। इसी की मदद से उन्होंने पाकिस्तानी बंकरो के चिथड़े उड़ा दिए।
शौकत अली कश्मीरी ने कहा कि पाकिस्तानी सेना कश्मीरियों को इस बात के लिए उकसा रही है कि अब वे हलके-फुल्के हथियारों का प्रयोग न कर के भारत के ख़िलाफ़ आत्मघाती हमलों को अंजाम दें। ऐसा पाकिस्तानी सेना के रिटायर्ड जनरलों द्वारा खुलेआम प्रचारित किया जा रहा है।
पाकिस्तान ने कोहली ब्रिगेड पर खेल का राजनीतिकरण करने का आरोप लगाया था, जिसे आईसीसी ने नकार दिया। बहरहाल, बीसीसीआई ने योजना बनाई है कि भारत हर साल एक बार अपने सैनिकों के सम्मान में आर्मी कैप पहनकर मैच खेलेगा।
आज हम गाज़ी फ़क़ीर की बात इसीलिए कर रहे हैं क्योंकि इससे जुड़ी एक बड़ी ख़बर आई है। उसके इतिहास और भूगोल को समझने से पहले हमें आईपीएस अधिकारी पंकज चौधरी के केस को समझना पड़ेगा, जिन्हें आज बर्ख़ास्त कर दिया गया।
जब भी कर्ण युद्धक्षेत्र में कोई बहादुरी का कार्य करता- उसका सारथी शल्य कुछ बेतुकी बातें कर उसका मनोबल तोड़ने की कोशिश करता। राहुल गाँधी आज बिना सबूत रक्षा सौदों पर छींटाकशी कर शत्रु का काम आसान कर रहे हैं और देश का मनोबल तोड़ रहे हैं।
पाक सेना का दावा है कि जैश-ए-मोहम्मद पाकिस्तान में नहीं है। यह बयान ऐसे वक्त में आया है जब जैश ने पुलवामा अटैक की जिम्मेदारी ली थी और कुछ दिन पहले ही विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी स्वीकार कर चुके हैं कि आतंकवादी संगठन का प्रमुख यहीं पर है।