सोशल मीडिया के जरिए एक बार फिर भारतीय सेना और सुरक्षाबलों की छवि को धूमिल करने के उद्देश्य से एक फर्जी नैरेटिव रचने का प्रयास किया जा रहा है कि बशीर अहमद की मृत्यु CRPF की गोली लगने से हुई।
डॉ.राय ने अगस्त 2019 में बाबा रामदेव के सहयोगी को कांफीडेंशियल मेडिकल रिपोर्ट प्रकाशित कर गलत तरीके से फँसाने की थी। उन्होंने रामदेव के सहयोगी आचार्य बालगोविंद की झूठी रिपोर्ट को प्रकाशित किया था।
बीबीसी की इस दर्दभरी हेडलाइन के भीतर जाने पर पता चलता है कि यह लेख सिर्फ और सिर्फ फेक न्यूज़ और भ्रामक तथ्य फैलाने की स्वीकृति माँगने के अलावा और ज्यादा कुछ नहीं कहती है।
मीडिया के कई प्रमुख स्रोतों ने इस खबर को स्पष्ट तौर पर यह साबित करने का प्रयास किया है कि अमरोहा में एक दलित को मंदिर में जाने के कारण गोली से मार दिया गया।
ऑल्टन्यूज़ अभी भी अपने इस दावे पर खड़ा है कि इसमें मुस्लिम नजरिए जैसी कोई बात नहीं थी और यह मुस्लिमों को निशाना बनाने के लिए गढ़ी गई, साथ ही यह भी रिपोर्ट को 'डेवलपिंग स्टोरी' बताते हुए खत्म किया है।