यह ध्यान देना चाहिए कि बामियान में बौद्ध स्मारकों के साथ जो हुआ वह कट्टरपंथी इस्लामिक विचारधारा का नतीजा था जो हिन्दू, बौद्धों और जैनों के धर्म स्थानों के विनाश का कारण बनी।
हर राष्ट्र में कानून बहुसंख्यकों के हिसाब से होता है और अल्पसंख्यकों को उसी दायरे के अनुकूल बनना पड़ता है। यहाँ हमेशा उल्टा होता आया है क्योंकि सर्वसमावेशन और सहिष्णुता की बात सिर्फ हिन्दुओं की ही जिम्मेदारी बन गई है।