“ऐतिहासिक भारत बंद की शुरुआत जाफराबद सीलमपुर दिल्ली से कर दी गई है, दिल्ली के साथी जाफराबाद पहुँचें। आज संवैधानिक दायरे में रहते हुए पूरा भारत बंद किया जाएगा। बीजेपी सरकार को बहुजनों की ताकत का अहसास करवाया जाएगा।”
दिल्ली की एक अदालत ने बुधवार को चंद्रशेखर सशर्त जमानत दी थी। अदालत ने कहा था कि वह चार हफ्तों तक दिल्ली नहीं आ सकेंगे और चुनावों तक धरना-प्रदर्शन से दूर रहेंगे।
"मैं पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील करती हूँ कि वे ऐसे सभी स्वार्थी तत्वों, संगठनों व पार्टियों से हमेशा सचेत रहें। वैसे ऐसे तत्वों को पार्टी कभी लेती नहीं है, चाहे वे कितना ही प्रयास क्यों न कर लें।"
एक ओर पुलिस का दावा है कि इस हिंसा में 90 पुलिसकर्मी घायल हुए हैं, और दूसरी ओर आरोपित चंद्रशेखर का कहना है कि वह अंबेडकर के संविधान को मानते हैं और हिंसा में विश्वास नहीं करते। यह उन्हें फँसाने की साजिश है।
चंद्रशेखर का कॉन्ग्रेस को समर्थन देना दिखाता है कि वह केवल खुद को दलितों का हितैषी बताकर समाज में एक जाना-माना चेहरा बनकर उभरना चाहते थे। अब जबकि अस्पताल में भर्ती होने पर राज बब्बर और प्रियंका गाँधी जैसे बड़े लोग उनका हाल लेने पहुँच रहे हैं तो वो दलितों के मुद्दों को दरकिनार करके सिर्फ़ अपनी राजनीति साध रहे हैं।
इस तरह के विवादित चित्र देखकर पता चलता है कि भीमराव अम्बेदकर को हम सबने कितने गलत तरीके से पढ़ा है। हमने उनके नाम पर समाज को सवर्ण और दलित के टकराव में झोंका है। हमने अम्बेदकर की गलत व्याख्या कर के पवित्र मानकों को अपमानित कर एक बड़े हिस्से को ठेस लगाकर हम बाबा साहब अम्बेदकर के दोषी बन चुके हैं।
हिंसक आंदोलनों की नाजायज़ औलादें, लाशों पर पैर रख कर संसद तक पहुँचती है। ऐसी भीड़ें ही इन नाजायज़ बच्चों को जनती है जो बाद में इन्हीं के लिए बने संसाधनों को पत्थर से बने पर्स में, और पार्कों के पिलर पर बने हाथियों में खपा देते हैं।
मायावती ने चंद्रशेखर द्वारा वाराणसी से चुनाव लड़ने को लेकर भाजपा की साज़िश बताया और ट्वीट किया था कि भाजपा दलित वोट काटने की मंशा से चंद्रशेखर को वाराणसी से चुनाव लड़वा रही है।
खुद को दलित वोटबैंक की 'फर्स्ट लेडी' मानने वाली मायावती, चंद्रशेखर 'रावण' की बढ़ती हुई लोकप्रियता से थोड़ी संशकित नजर आती हैं! मायावती लगातार चंद्रशेखर आजाद को BJP का एजेंट बता रही हैं और उनका आरोप है कि भीम आर्मी की फंडिंग RSS द्वारा की जाती है।