अपनी असहिष्णुता पर गर्व करने वाले व्यक्ति और संस्थाएँ हिंदुओं को सहिष्णु न होने का उलाहना इसलिए दे पाते हैं क्योंकि अपने सिद्धांत के पालन के लिए हिंदू खुद से वचनबद्ध है।
केरल राज्य बोर्ड द्वारा छात्रों को बड़ी संख्या में 100 फीसदी मार्क्स देने की प्रवृत्ति की ओर इशारा करते हुए इसे 'मार्क्सवादी विचारधारा के प्रचार-प्रसार की सुचिंतित और सुनियोजित साजिश' बताया गया है।
कन्हैया कुमार का कॉन्ग्रेस ज्वाइन करना आश्चर्य व्यक्त करने वाली घटना नहीं है। वर्तमान भारतीय राजनीति के सेक्युलर दलों के बीच एक्सचेंज प्रोग्राम चल रहा है।
इसे विडंबना ही कहेंगे कि हिंदू जिस त्यौहार में माँ दुर्गा के शक्ति रूप की पूजा करते हैं उसी त्यौहार के बहाने उन्हीं माँ दुर्गा को एक कलाकार हिजाब में दिखा रहा है।
'डिसमेंटलिंग ग्लोबल हिंदुत्व' कार्यक्रम में ऑड्रे ट्रुश्के, नक्सल समर्थक आनंद पटवर्धन और नंदिनी सुंदर, स्व-घोषित वामपंथी पत्रकार नेहा दीक्षित समेत कई हिंदूफोबिक तत्वों की भागीदारी देखने को मिलेगी।
प्रोफेसर बद्री नारायण, जो सुहेलदेव और भगवान श्रीराम को मिथक बता चुके हैं। प्रोफेसर तेज प्रताप सिंह, जिन पर नक्सली हिंसा के लिए सुरक्षा बलों को जिम्मेदार ठहराने का आरोप है। दोनों MGCUB के कुलपति की रेस में शामिल।
यदि दुराग्रही वामपंथियों के प्रपंच में उलझे बिना देखें, तो दक्षिणपंथ कहीं ज्यादा तार्किक और समाधान का हिस्सा है, लेकिन 'नेहरु घाटी सभ्यता' के दौरान पैदा हुए विचारकों ने कभी किसी को यह सोचने का मौका ही नहीं दिया कि उनके अलावा भी कोई दूसरी विचारधारा इस पृथ्वी पर हो सकती है और उनसे कहीं ज्यादा बेहतर हो सकती है।