Sunday, November 24, 2024

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हिन्दू धर्म

देवताओं की मूर्ति के अपमान के बाद ‘फाउंडेशन क्लब’ ने माफी माँगी, हटाई गई भगवान महावीर की प्रतिमा

फाउंडेशन रूम के मालिकों ने घोषणा की है कि वो देवी-देवताओं की प्रतिमाओं के अनुचित इस्तेमाल पर आपत्ति के बाद जैन देवताओं की मूर्तियों को...

एकंबरेश्वर मंदिर: जहाँ माता पार्वती की परीक्षा लेने पहुँचे थे स्वयं भगवान शिव

एकंबरेश्वर मंदिर, तमिलनाडु के मंदिरों के नगर कांचीपुरम का सबसे विशाल एवं भव्य शिव मंदिर है। भगवान शिव को यहाँ पृथ्वी के रूप में पूजा जाता है।

तब्लीगियों को तो गाली दे रहे थे, खुद रथ यात्रा? वो इसलिए कि थूकने वालों और पूजने वालों में अंतर है, और रहेगा

कोरोना को हल्के में लेने वाले, डॉक्टरों पर हमला करने वालों, थूकने, मल-मूत्र त्यागने वाले अधम श्रेणी के मनुष्यों की तुलना स्वामी जगन्नाथ के सेवायतों से करना धूर्तता है।

महाप्रभु जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा चल पड़े: देखें रथयात्रा की मनमोहक तस्वीरें

यहाँ हम आपको आज मंगलवार (जून 23, 2020) को आयोजित हो रही ओडिशा की जगन्नाथ पुरी रथयात्रा की भव्य तस्वीरें दिखा रहे हैं।

‘ईद, रमजान पर कुछ नहीं कहा’: सुप्रीम कोर्ट द्वारा रथयात्रा रोकने पर सोशल मीडिया में बवाल

सुप्रीम कोर्ट ने एक जनहित याचिका की सुनवाई करते हुए फैसला दिया है कि कोरोना महामारी के फैलने के डर और लोगों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए जगन्नाथ मंदिर में होने वाली वार्षिक रथयात्रा ना निकाली जाए।

‘ताइवान न्यूज़’ पर ‘ड्रैगन’ को मारते हुए भगवान राम का पोस्टर बना है चर्चा का विषय

भारत-चीन के सैनिकों के लद्दाख सीमा क्षेत्र में टकराव के बाद 'ताइवान न्यूज' की वेबसाईट पर एक पोस्टर नजर आया है, जो कि सोशल मीडिया पर आकर्षण का केंद्र बना हुआ है।

मुरारी बापू जी, अली-मौला इतना ही पसंद है तो टोपी लगा कर नमाज पढ़ लीजिए, सत्संग-प्रवचन का नाम क्यों ले रहे?

एक तरफ एक मजहब है, जो कि अपने मूल रूप में प्रसारवादी, राजनैतिक और ऐतिहासिक तौर पर हिंसक और लूट-पाट से ले कर आतंक का शासन स्थापित करने पर तुला हुआ है, और दूसरी तरफ उसी की प्रसारवादी नीतियों को झेल कर हर बार खड़ा होने वाला धर्म! दोनों एक हैं ही नहीं, आप क्यों मिलाना चाह रहे हो?

श्रीकालाहस्ती मंदिर: पंचमहाभूतों में से एक ‘वायु तत्व’ का प्रतीक, योग में इनसे मुक्त होने की वैज्ञानिक प्रक्रिया

श्रीकालाहस्ति में मंदिर वायु तत्व हेतु, कांचीपुरम में पृथ्वी तत्व, तिरुवन्नामलाई में अग्नि तत्व हेतु, चिदंबरम में आकाश तत्व एवं तिरुवनाईकवल में जल तत्च के लिए इन मंदिरों का निर्माण किया गया था।

संत महा योगेश्वर हत्याकांड: लाश के नाम पर बची चंद हड्डियाँ, 21 दिनों तक फॉरेंसिक जाँच के बाद प्रशासन ने सौंपा शव

संत महा योगेश्वर की हत्या के बाद जब लाश मिली थी तो बाल उजड़े हुए थे और एक बाजू गायब था। फॉरेंसिक जाँच के बाद अब सिर्फ़ हड्डियों का ढाँचा ही बचा है।

उत्तराखंड में पौराणिक शिवमंदिर के सामने नजर आ रहे ‘चर्चनुमा संदिग्ध’ निर्माण से ग्रामीण हैरान

यह 'चर्चनुमा भवन' पौराणिक कोणेश्वर महादेव मंदिर के सामने बन रहा है। 'अंग्रेज' अब स्थानीय बोली के साथ हिंदी में भी बात करने लगे हैं, जिससे...

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