ऑल्ट न्यूज़ राम मंदिर भूमिपूजन कार्यक्रम के बाद हिंदू घृणा के निम्नतम स्तर पर उतर आया है। ऑल्ट न्यूज़ उन सभी कलाकारों को निशाना बना रहा है जिन्होंने भगवान राम के भव्य मंदिर शिलान्यास पर अपनी ख़ुशी जाहिर की।
ऑल्टन्यूज़ को चीनी सैनिकों के घायल होने या उनके मारे जाने की खबरें ज्यादा पसंद नहीं आईं और उन्होंने इसका भी फैक्ट चेक करते हुए भारतीय मीडिया को फर्जी साबित करने का प्रयास किया है।
बीबीसी की इस दर्दभरी हेडलाइन के भीतर जाने पर पता चलता है कि यह लेख सिर्फ और सिर्फ फेक न्यूज़ और भ्रामक तथ्य फैलाने की स्वीकृति माँगने के अलावा और ज्यादा कुछ नहीं कहती है।
ऑल्टन्यूज़ अभी भी अपने इस दावे पर खड़ा है कि इसमें मुस्लिम नजरिए जैसी कोई बात नहीं थी और यह मुस्लिमों को निशाना बनाने के लिए गढ़ी गई, साथ ही यह भी रिपोर्ट को 'डेवलपिंग स्टोरी' बताते हुए खत्म किया है।
पत्रकारिता छोड़कर ऑल्टन्यूज को कोचिंग संस्थान चलाने के धंधे में भी आने के बारे में सोचना चाहिए, क्योंकि सात दिनों के परिश्रम से जब इस तरह के परिणाम मिल सकते हैं तो ये लोग न्यूज एजेंसी की तर्ज पर 'समुदाय विशेष पीड़ित कोचिंग संस्थान' शुरू कर सकते हैं।
ऑल्ट न्यूज़ की मोबाइल एप्लिकेशन द्वारा जुटाई जा रही जानकारियाँ इस कारण भी चर्चा का विषय है क्योंकि यही ऑल्ट न्यूज़ और इसके संस्थापक अक्सर आधार कार्ड से लेकर, फेसबुक और अब आरोग्य सेतु एप्लीकेशन पर लोगों किन निजी जानकारियाँ इकट्ठी करने का आरोप लगा चुके हैं।