पीएम मोदी का साबुन वाला ट्वीट देखते ही 'भालू' ने अपने एक इंटर्न को एक कोरोना वायरस खोज कर उसका बयान लाने को कहा है। बयान ये होना चाहिए कि कोरोना साबुन से नहीं डरते। अन्य ख़बरों में दावा किया गया है कि उक्त इंटर्न मीडिया की नौकरी छोड़ कर सन्यस्थ हो गया है।
2 मिनट 18 सेकेंड के इस वीडियो में क्या-क्या झूठ फैलाया गया था - 1) ईवीएम के गायब होने का दावा किया गया। 2) दिल्ली के कबीरनगर की गली नंबर 4 पर SVN पब्लिक स्कूल के इम्प्लॉयज भाजपा के साथ मिलकर ईवीएम चोरी करते पकड़ा गया।
सद्गुरु ने कहा कि मॉं के दूध की प्रकृति शिशु के लिंग के हिसाब से बदलती है। वैज्ञानिक अध्ययनों से भी इसकी पुष्टि हो चुकी है। लेकिन, पहले ऑल्टन्यूज़ की संस्थापक और फिर महिला कॉन्ग्रेस तथा अन्य वामपंथियों ने उनके इस बयान का मजाक उड़ाया।
प्रोपेगेंडा पोर्टल 'ऑल्टन्यूज़' ने दावा किया था कि विडियो में दिख रहे छात्र के हाथ में पत्थर नहीं, वॉलेट है। नए विडियो ने उसे फिर से झूठा साबित किया है। इस विडियो में अन्य छात्रों के हाथ में भी पत्थर दिख रहे हैं।
ट्विटर पर आज काफी देर तक 'फेक इट लाइक ऑल्टन्यूज़' ट्रेंड में रहा। इस दौरान यूजर्स ने विभिन्न मीम्स के जरिए ये दिखाने का प्रयास किया कि प्रतीक सिन्हा और ज़ुबैर की वेबसाइट कैसे फैक्ट-चेक के नाम पर अपने गिरोह विशेष के लोगों का बचाव करती है।
सवाल उठता है कि क्या अब सोने को भी विरोध-प्रदर्शन माना जाएगा? बाकी समय 'ऑल्टन्यूज' नासा के सॉफ़टवेयर इस्तेमाल करके फोटो लेने की तारीख, समय और फोटोग्राफर का मूड तक बता दिया करता है, लेकिन इस तस्वीर के बारे में यही बता पाया कि प्रदर्शनकारी सो रहे थे।
यह सही है कि विज्ञान प्रमाण और सबूतों पर आधारित होता है। आम तौर पर कहा जाता है कि मंदिर के अनुष्ठानों की प्रकृति के बारे में सबूत अपर्याप्त हैं। हो सकता है कि उनका ये कहना सही हो कि लॉन्च से पहले मंदिर में जाना एक 'अवैज्ञानिक परंपरा' है, लेकिन ऐसा करने में हर्ज ही क्या है? इससे इतने सारे लोग परेशान क्यों हैं?
"हाँ, हम छोटे हो सकते हैं, लेकिन झूठे या नकली नहीं। छल हमारी संस्कृति नहीं है। हम रोज़ चुनौतियाँ देते हैं।"- अंसिफ अशरफ़ (प्रबंध सम्पादक, ब्रिटिश हेराल्ड)
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को British Herald द्वारा 'World’s Most Powerful Person' घोषित करने से जिनके (दिलों में आग) सुलगनी थी, वह सुलगी। और वे ज़हर उगले बिना रह नहीं पाए। पत्रकारिता के स्तर को गिराते हुए यह मीडिया गिरोह अब विकिपीडिया को 'भरोसेमंद सूत्र' मानने लगे हैं।
अब तो AltNews को कायदे से मेमे और अकबर-बीरबल के चुटकुलों के फैक्ट चेक करने के व्यवसाय में आ जाना चाहिए क्योंकि गंभीर और अतिसंवेदनशील मसले में अजेंडे के हिसाब से SSP स्तर के अफसरों के बयान को ट्विस्ट करके, फैक्ट चेक के नाम पर परोसना सर्वथा गलत है।