Friday, September 22, 2023
Homeरिपोर्टमीडियामोदी को 'World’s Most Powerful Person' बताने वाले ब्रिटिश हेराल्ड के पीछे पड़ा Scroll...

मोदी को ‘World’s Most Powerful Person’ बताने वाले ब्रिटिश हेराल्ड के पीछे पड़ा Scroll खुद हो गया नंगा

Scroll ने वही किया, जो उसे करना था - मोदी को सकारात्मक रूप में दिखाने का 'बदला' लेने के लिए British Herald को नीचे गिराना था। लेकिन यहीं वो और उसका पत्रकार गच्चा खा गया क्योंकि...

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को British Herald द्वारा ‘World’s Most Powerful Person’ घोषित करने से जिनके (दिलों में आग) सुलगनी थी, वह सुलगी। और वे ज़हर उगले बिना रह नहीं पाए। Scroll ने Alt News का छापा हुआ लेख छापा, जिसके शीर्षक को इस ‘सनसनीखेज़’ तरीके से लिखा गया, मानो अभी इसमें यह खुलासा होगा कि British Herald के मालिक अमित शाह और अजित डोवाल के बेटे हैं।

और यह ‘सनसनीखेज़’ शीर्षक केवल वह क्लिकबेट जर्नलिज्म नहीं है, जिसे खबरिया पोर्टल अपने निम्न स्तर की पत्रकारिता को ‘मार्केट की मजबूरियाँ’ को आड़ देने के लिए इस्तेमाल करते हैं, बल्कि इसका इरादा ही मोदी को सकारात्मक रूप में दिखाने का ‘बदला’ लेने के लिए British Herald को नीचे गिराना था।

आगे इस लेख में पोर्टल ही नहीं, इसके मालिक अंसिफ अशरफ़ तक की ‘चीर-फाड़’ ऐसे की गई है मानो अंसिफ अशरफ़ मोदी की तारीफ़ कर देने वाले किसी पोर्टल के मालिक नहीं, अरबों डकार के विदेश में बैठे माल्या या डॉन दाऊद इब्राहिम हों। टोन किसी समाचार पोर्टल के मालिक के विषय में बात करने का नहीं, ऐसा है मानो कोई एंकर लेट नाईट क्राइम शो में दर्शकों को बाँधे रखने के लिए ‘चैन से सोना है तो जाग जाइए, और गौर से देखिए इस दुष्ट को – बताने के लिए बड़बड़ाता है। और फिर इसी टोन को गुर्राहट में बदलते हुए कहता है – इस मालिक का पोर्टल मोदी को दुनिया का सबसे ताकतवर नेता कहता है।

विकिपीडिया के भरोसे होगी खोजी पत्रकारिता!

अभी तक स्कूलों और इंजीनियरिंग कॉलेजों के प्रोजेक्ट्स करने वाले ही रेफरेंस सेक्शन में “credits: Wikipedia” लिख कर कर्तव्य की इतिश्री अहसान जताते हुए करते थे, लेकिन अब लगता है पत्रकारिता का भी स्तर वहाँ आ गया है कि विकिपीडिया ‘भरोसेमंद सूत्रों’ में गिना जाएगा- बावजूद इसके कि इसे कोई भी edit करके किसी के भी विकिपीडिया पेज पर कुछ भी लिख सकता है।

अंसिफ अशरफ़ की तहकीकात भी इस लेख में उनके विकिपीडिया पेज के आधार पर ही की गई है- जब कि उनकी खुद की वेबसाइट है, जिस पर उनके अख़बारों British Herald और Cochin Herald के ज़रिए उनसे सम्पर्क करने के लिए एक-एक ईमेल एड्रेस और फ़ोन नंबर भी दिए गए हैं।

हालाँकि न मोदी या भाजपा से उन्हें जोड़ने वाला कुछ मिलना था, न मिला- पत्रकारिता के इस समुदाय विशेष की किस्मत इतनी खराब निकली कि अंसिफ अशरफ़ का घर तक गुजरात में नहीं है, जहाँ उन्हें राज्य सरकार का पिट्ठू या ‘डरा हुआ शांतिप्रिय’ बताया जा सके; वह तो ‘गॉड्स ओन कंट्री’, कम्युनिस्टों के गढ़ और दहशतगर्द संगठन आइएस को भारत से सबसे ज्यादा ‘सप्लाई’ देने वाले केरला के निवासी निकले।

ये मोदी को स्टार-पावर देने का नहीं, उनसे स्टार-पावर ‘लेने’ का प्रयास था**

अंसिफ अशरफ़ के इन दोनों अख़बारों में से कोचीन हेराल्ड तो 1992 से ही चला आ रहा है। इससे वह शक भी साफ हो जाता है जिसका बीज यह लेख बिना बोले अपने पाठकों के मन में डालने की कोशिश करता है- कि कहीं ऐसा तो नहीं कि मोदी की इमेज चमकाने के लिए पुराने ब्रिटिश अख़बार द डेली हेराल्ड या ऑस्ट्रेलिया के सिडनी मॉर्निंग हेराल्ड की ‘सस्ती कॉपी’ बनाने का राजनीतिक प्रयास हो। लेकिन ऐसा भी नहीं है। साफ पता चल रहा है कि British Herald नाम रखना एक ब्रांडिंग स्ट्रेटेजी का हिस्सा था, जिसके अंतर्गत 1992 से ही चले आ रहे अख़बार, और उसकी मालिक कंपनी की ब्रांडिंग चमकाने के लिए ब्रिटिश हेराल्ड अख़बार का सृजन किया गया।

और एक बात, मोदी ब्रिटिश हेराल्ड के कवर पर आने वाले इकलौते या पहले नेता नहीं हैं। उनसे पहले यह अख़बार/पोर्टल न्यूज़ीलैंड की प्रधानमंत्री जसिन्डा अडर्न और रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन को भी अपने कवर पर ला चुका है। यानी यह मोदी को कोई ‘चमक’ दे नहीं रहा था, बल्कि उनके ज़रिए खुद की इमेज बनाने की कोशिश कर रहा था।

कायदे से जब अंसिफ अशरफ़ के खिलाफ कुछ नहीं साबित हो पाया तो या तो इस लेख का कोई मतलब ही नहीं बनता था (क्योंकि इसमें कोई ‘खुलासा’ हो ही नहीं सकता), और या तो अगर कोई जानकारी देने वाला लेख लिखना ही था, तो उसे उसी रूप में लिखा जाना चाहिए था, न कि उसे ‘हमें-पता-है-ये-बड़ी-conspiracy-है लेकिन-क्या-करें-बोल-नहीं-सकते-क्योंकि-सबूत-नहीं-है-इशारे-में-बात-समझ-जाओ’ के subtext वाले वाहियात लेख के रूप में ‘मार्केट’ में ‘फेंक’ देना चाहिए था।

स्क्रॉल की बात

अब एक बात और। दूसरे समाचार पोर्टलों के ‘अबाउट अस’ में कँस्पिरेसी थ्योरी का कच्चा माल ढूँढ़ने वाले स्क्रॉल का खुद का ना तो ‘अबाउट अस’ का हिस्सा है (वेबसाइट ही नहीं, फेसबुक पेज पर भी कौन मालिक है, कौन पैसा देता है की बजाय गोलमोल बातें ही भरी हैं) और न ही वह यूज़र्स के कमेंट तक लेखों के नीचे ‘बर्दाश्त’ करती है। सार्वजनिक जीवन और राजनीति में लोकतंत्र-लोकतंत्र खेलने के पहले अगर ये लोग खुद का लोकतान्त्रिक स्वभाव बना लें, बहुत अच्छा होगा।

**यह लेख लिखते समय मुझे भी ब्रिटिश हेराल्ड अख़बार के 150+ वर्ष पुराने होने का गुमान नहीं था, अतः मुझे लगा कि कोचीन हेराल्ड का “British Herald नाम रखना एक ब्रांडिंग स्ट्रेटेजी का हिस्सा” और मार्केटिंग गिमिक लगा। लेकिन अंसिफ अशरफ के जवाब से यह साफ हो जाता है कि यह ब्रांडिंग स्ट्रेटेजी तो थी, लेकिन मार्केटिंग गिमिक नहीं, और न ही मोदी को कवर पर जगह देना किसी ‘नए अख़बार’ का अपना ‘ब्रांड रिकग्निशन’ बढ़ाने का प्रयास; और यह अख़बार भी नया नहीं, 150+ वर्ष पुराना है।

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

राज्यसभा में सर्वसम्मति से पास हुआ महिला आरक्षण विधेयक: 215 बनाम शून्य का रहा आँकड़ा, मोदी सरकार ने बताया क्या है जनगणना और परिसीमन...

महिला आरक्षण बिल राज्यसभा से भी पास हो गया है। लोकसभा से ये बिल पहले ही पास हो गया था। इस बिल के लिए सरकार को संविधान में संशोधन करना पड़ा।

कनाडा बन रहा है आतंकियों और चरमपंथियों की शरणस्थली: विदेश मंत्रालय बोला- ट्रूडो के आरोप राजनीति से प्रेरित

भारतीय विदेश मंत्रालय ने कहा है कि कनाडा की छवि आतंकियों और चरमपंथियों को शरण देने वाले राष्ट्र के रूप में बन रही है।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
275,472FollowersFollow
419,000SubscribersSubscribe