मुनव्वर राना ने जिस 'माँ' पर लिखे शेर पर जिंदगीभर वाह-वाही लूटी, वास्तव में वो मशहूर लेखक कवि आलोक श्रीवास्तव द्वारा लिखी गई 'अम्मा' कविता से चुराई गईं हैं।
अवॉर्ड वापसी गैंग के मार्गदर्शक मंडल में शामिल मुनव्वर राना को ख़ूब पता है कि दस्तारें बनाने वाले अब पत्थर चलाने लगे हैं। राना अब 'माँ' को छोड़ कर 'मर्दानगी' जाँचने पर उतर आए हैं। उनके अंदर का 'मुसलमान' बिलबिला रहा है। उनका लॉजिक है- मुस्लिम ज़्यादा वफ़ादार हैं क्योंकि उन्हें दफनाया जाता है।
जिन लेखकों को मोदी सरकार से डर लगता था, क्या उनका डर अब ख़त्म हो गया है? क्या इन लेखकों के पास नैतिकता नहीं है या फिर नैतिकता को स्वार्थ और लोभ ने ढक लिया है?
तीनों लोकों में प्रसिद्धि पाने की अपनी चाहत को संतुष्ट करने के लिए उन्होंने अपनी तंत्रिकाओं में लोकतंत्र नामक करंट दौड़ाया है, ताकि 420 वाल्ट के शॉक से उन्हें यह याद आ जाए कि उन्हें आज तक कोई अवार्ड मिला भी है या नहीं।