आदेश में कहा गया है कि सोशल मीडिया में देवी-देवताओं पर कोई भी अपमानजनक टिप्पणी करने का प्रयास नहीं किया जाना चाहिए। इसके अलावा, ज़िला प्रशासन की अनुमति के बिना किसी भी देवता की मूर्ति की स्थापना नहीं होगी।
"मैं उनकी भावनाएँ समझ सकता हूँ। कोर्ट का जो भी फैसला होगा, उसे अब वे स्वीकार करेंगे। चाहे फैसला जो भी हो समाज में शांति सुनिश्चित करने के लिए उचित कदम उठाने की जरूरत है।’’
कई महत्वपूर्ण बेंच में जस्टिस बोबडे शामिल रहे हैं। 2018 में कर्नाटक के राजनीतिक विवाद को लेकर जिस बेंच ने रात भर सुनवाई की थी, उसमें भी वे थे। मुख्य न्यायाधीश गोगोई के खिलाफ यौन उत्पीड़न के आरोपों की जॉंच भी की थी।
सुप्रीम कोर्ट ने हर पार्टी को तीन दिन का वक्त दिया था कि वे सील बंद लिफाफे में मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर अपना पक्ष दायर करवा सकते हैं। जिसके मद्देनजर निर्मोही अखाड़े ने नोट दाखिल कर मोल्डिंग ऑफ रिलीफ पर आपत्ति जताई थी।
सत्ता के परिवर्तन और समय के चक्र से कभी-न-कभी कॉन्ग्रेस, माकपा, हिन्दू कारसेवकों पर गोली चलवाने वाले 'मुल्ला मुलायम' की सपा जैसे लोग वापिस आ ही जाएँगे। उस समय अगर राम मंदिर सरकारी नियंत्रण में रहे तो क्या होगा, ये कभी सोचा है?
मुस्लिम पक्षकारों के वकील एजाज मकबूल ने अयोध्या मामले में मध्यस्थता पैनल द्वारा की गई रिपोर्ट की सिफारिशों को अस्वीकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर की है।
"अयोध्या मामला जल्द ही सुलझने वाला है। विवादित स्थल पर राम मंदिर का निर्माण किया जाना चाहिए। इस देश में पैदा हुए सभी लोगों के पूर्वज राम हैं। हर कोई यह जानता है कि अयोध्या में राम पैदा हुए थे। इसके बाद भी राजनीतिक स्वार्थवश इसे विवाद का विषय बना दिया गया।"
सुन्नी वक्फ बोर्ड के वकील ने पुष्टि की है कि मध्यस्था पैनल के माध्यम से हिन्दू पक्षों के सामने एक समझौते का मसौदा पेश किया गया था। चूँकि, मामला आपराधिक नहीं बल्कि सिविल है इसलिए फैसले की घोषणा से पहले समझौता भी हो सकता है।
"सत्तर सालों से अयोध्या विवाद की वजह से बस राजनीति हो रही है और मुझे उम्मीद है कि अब शहर में कुछ विकास होगा"। आज उनके बेटे इकबाल अंसारी ने कहा कि वह अपने पिता के सपने को साकार करने के लिए वचनबद्ध हैं।
जिस धर्म के हजारों बड़े मंदिर तोड़ दिए गए, उनकी आस्था पर सिर्फ इस मकसद से हमला किया गया कि ये टूट जाएँ और यह विश्वास करने लगें कि उनका भगवान भी स्वयं के घर की रक्षा नहीं कर पा रहा, उस धर्म के लोग जब अपनी आस्था को पहचानने को खड़े हुए हैं तो उन्हें स्कूल और हॉस्पिटल की याद दिलाई जा रही है?