एनजीओ के सदस्यों ने पुलिस अधिकारियों को बताया कि आरोपित बांग्लादेशी नागरिक पीड़ित नाबालिग लड़की को कुछ महीने पहले नौकरी दिलाने के बहाने बहला-फुसला कर बेंगलुरू लाए थे। इसके बाद उसे कडुगोड़ी के एक घर में रखा गया, जहाँ पीड़िता को प्रताड़ित किया गया और उसे वेश्यावृत्ति के लिए मजबूर किया गया।
प्रोटेस्ट के दौरान लोगों के बीच एक महिला आकर बैठ गई। उसके हाथ में कन्नड़ भाषा में लिखा एक बैनर था, जिस पर दलित मुक्ति, कश्मीर मुक्ति और मुस्लिम मुक्ति लिखा था। इसके देख वहाँ काफी भीड़ इकट्ठा हो गई थी, लोगों ने उसे वहाँ से जाने को कहा, इसलिए हमने उसे किसी तरह मौके से रेस्क्यू किया और उसे हिरासत में लिया।
घटना के तुरंत बाद एसीपी और डीसीपी ने घटनास्थल का दौरा किया। फॉरेंसिक एक्सपर्ट्स ने क्षेत्र का जायजा लिया, जिसके बाद पुलिस ने पूरे क्षेत्र में तलाशी ली। वहीं विधायक के बेटे मोहम्मद नलपड ने आरोप लगाया कि उनके पिता की कुर्सी के नीचे कोई संदिग्ध वस्तु रख दी गई थी।
22 दिसंबर को रैली के दौरान बीजेपी और आरएसएस समर्थकों को निशाना बनाया गया। केरल में एसडीपीआई भाजपा नेता एके नजीर पर भी हमला कर चुका है। इस चरमपंथी संगठन ने नागरिकता कानून का समर्थन करने वालों को जिंदा नहीं बख्शने की धमकी दे रखी है।