ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड के सचिव हैं मौलाना उमरैन महफ़ूज़ रहमानी। लेकिन दंगा भड़काने और लोगों के बीच भ्रम फैलाने का काम जोर-शोर से कर रहे हैं। शांति बनी रहे के बजाय ये हर वो एक काम कर रहे, जिससे दंगा और बवाल हो। सरकार के खिलाफ लोगों को भड़काने का फरमान...
“मीडिया से हमें पता चला है कि इस कानून के अंतर्गत जितने भी हमारे देश की जनता है, उनकी जनगणना की जाएगी, उनको यहाँ पर नागरिक रखा जाएगा… इस एक्ट के अंदर हमें यही बताया गया है कि हमारे जो मुस्लिम भाई हैं, उनको अपनी नागरिकता साबित करनी होगी।”
“मैंने 2007 में पाकिस्तान छोड़ दिया था। यह एक इस्लामिक गणराज्य है। वहाँ मंदिरों को तोड़ दिया जाता है। हिंदू लड़कियों और महिलाओं को अगवा किया जाता है और उन पर अत्याचार किया जाता है। यहाँ तक कि वहाँ की पढ़ाई भी इस्लामिक है।”
नागरिकता कानून के विरोध में उत्तर प्रदेश में फिर से विरोध-प्रदर्शन ने हिंसक रूप ले लिया। जिन शहरों से हिंसक वारदातों की रिपोर्ट आ रही है, उनमें प्रमुख हैं - फिरोजाबाद, हापुड़, कानपुर, बहराइच, सीतापुर, गोरखपुर मुजफ्फरनगर, अलीगढ़ और हमीरपुर।
मेंगलुरु हॉस्पिटल में दो लोगों के मरने की ख़बर आई है। ये दोनों मंगलुरु नार्थ पुलिस स्टेशन को आग के हवाले करने जा रहे थे। पुलिस ने प्रदर्शन को हिंसक होते देख गोली चलाई और ये दोनों ही मारे गए। लखनऊ में भी एक प्रदर्शनकारी मारा गया।
पुलिस अधिकारी तनवीर अहमद ने उपद्रवियों क नेतृत्वकर्ता को सपाट शब्दों में कहा कि वो भड़का कर लोगों के भविष्य से न खेलें, ख़ासकर छात्रों के। पुलिस अधिकारी तनवीर ने उपद्रवी महिला वामपंथी को फटकारते हुए कहा- "छात्रों के करियर से मत खेलो। जाओ यहाँ से।"
मुख्यमंत्री ख़ुद स्थिति पर पैनी नज़र रख रहे हैं। उन्होंने पुलिस से कहा है कि उपद्रवियों को चिह्नित कर उनपर कड़ी कार्रवाई करें। सीएम योगी ने कहा कि उनकी सरकार उपद्रवियों की संपत्ति नीलाम कर वसूली करेगी। अफवाह फैलाने वालों पर भी निगरानी रखने के आदेश जारी किए गए हैं।
आज़मगढ़ में उपद्रव करने वाले 11 लोगों को चिह्नित कर धर-दबोचा गया। जमीयत-उल-अशरफिया के छात्रों ने उपद्रव किया था, जिसके बाद पुलिस ने ये कार्रवाई की। पुलिस सोशल मीडिया पर भी पैनी नज़र रख रही है। सांसदों-विधायकों तक को भी पुलिस उठा कर ले गई।
भारत में 2 लाख से अधिक श्रीलंकाई तमिल, तिब्बती और 15,000 से अधिक अफगानी, 20-25 हजार रोहिंग्या भारत में रह रहे हैं। यह उम्मीद की जाती है कि किसी दिन जब वहाँ की स्थिति में सुधार होगा तो यह शरणार्थी अपने घर वापस लौट जाएँगे। लेकिन, पाक में स्थिति सुधरेगी क्या?