पर्याप्त पुलिस बल, सीएपीएफ और वरिष्ठ अधिकारी उत्तर पूर्वी दिल्ली में तैनात हैं। कुछ इलाकों में धारा 144 लागू है। दंगाइयों को देखते ही गोली मारने के आदेश दिए गए हैं। सभी मेट्रो स्टेशन खोल दिए गए हैं।
लेनदेन के विवाद को मुर्शीद ने एनआरसी और सीएए से जोड़ दिया। इसके बाद कट्टरपंथी हिंसा पर उतर आए। मस्जिद से भी पथराव किए जाने की बात स्थानीय लोगों ने कही है।
सरस्वती मूर्ति विसर्जित करने जा रहे लोगों से मुस्लिम युवकों ने डीजे को बंद करने को कहा। डीजे बंद नहीं करने पर फायरिंग की। जब जुलूस में शामिल लोग भागने लगे तो उन पर ईंट-पत्थर से हमला किया गया।
जहॉं हिंसा हुई वह इलाका सांप्रदायिक रूप से संवेदनशील रहा है। मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक कुछ लोग घरों की छतों से पथराव कर रहे थे। कुछ घरों को आग के हवाले कर दिया गया। अब हालात में काबू में बताए जा रहे।
धनबाद के झरिया में महिलाओं से बदसलूकी। शवयात्रा में शामिल लोगों को भी पीटा। बीते दिनों धनबाद में सीएए विरोध के नाम पर भी पैदी की गई थी अराजकता। दबाव में 3000 दंगाइयों के साथ प्रशासन ने दिखाई थी नरमी।
आरोपितों ने घटना का जिक्र करने पर छात्राओं को जान से मारने की धमकी भी दी। इतना ही नहीं जब पीड़िताओं के परिजनों ने मामला दर्ज कराया तो उन पर दबाव बनाने के लिए आरोपितों के परिजन उनके गॉंव पहुॅंच गए।
अब स्थिति सामान्य है। लेकिन गाँव वाले फ्लैगमार्च निकालकर अपना विरोध दिखा रहे हैं। मामले के संबंध में 3 युवकों को गिरफ्तार किया गया है। मगर रिपोर्ट अभी किसी के ख़िलाफ़ दर्ज नहीं हुई हैं
कर्फ़्यू को कथित रूप से तोड़ने के लिए गोली से मारे जाने के बाद भारतीय नागरिक सूरज कुमार पांडेय की मौत हो गई। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि दो धार्मिक समुदायों के बीच तनाव बढ़ने के बाद हुए झड़प में उग्र भीड़ को नियंत्रित करने की कोशिश में कई पुलिस कर्मी भी घायल हो गए।
बंधु प्रकाश गलत राज्य में पैदा हुआ, गलत जाति-धर्म का था, गलत राज्य में मारा गया। मरने के बाद की चर्चा में बने रहने के लिए आपको निर्दोष होना मात्र 'सही' नहीं होता। आपको किसी खास जाति, किसी खास मजहब में होना होता है, किसी खास तरह के हत्यारे का शिकार बनना पड़ता है, और वहाँ सत्तारूढ़ पार्टी कौन सी है, इसका भी बहुत असर पड़ता है।