रवीश आज भी नेहरू-इंदिरा के अहंकार के उस दौर से आतंकित हैं, जब मनचाहे तरीकों से सत्ता, समाज और संस्थाओं को अपने नियंत्रण में रखा करती थी। लप्रेकी रवीश इस नींद से जागना नहीं चाहते क्योंकि उन्हें 'दंगा साहित्य' पसंद है।
गर्भवती होने के कारण सफूरा जरगर की रिहाई की मॉंग करने वालों को नलिनी श्रीहरण के बारे में जानना चाहिए। वह गिरफ्तारी के समय दो महीने की गर्भवती थी और बाद में दोषी भी ठहराई गई।