किसान नेताओं ने अपने निर्णय में कहा है कि नए कृषि कानूनों के डेढ़ साल तक स्थगित करने के केंद्र सरकार के प्रस्ताव को किसान संगठनों ने खारिज कर दिया है। संयुक्त किसान मोर्चा ने बयान जारी कर बताया कि तीनों कृषि कानून पूरी तरह रद्द हों।
कृषि क्षेत्रों में सुधार लाने के लिए मोदी सरकार द्वारा लाए गए कानूनों के प्रति समर्थन व्यक्त करते देश के विभिन्न हिस्सों के 850 से अधिक शिक्षाविदों ने एक पत्र लिखा है।
यदि कोई पुलिसकर्मी ऐसे प्रयासों के दौरान चोटिल हो जाए तो जिम्मेदार किसे माना जाएगा? क्या इस तरह कोई प्रदर्शन हो रहा है? भारत में पुलिस की जान की कोई कीमत नहीं है क्या?
इन कानूनों का धरातल पर उतरने के बाद ही उनका विश्लेषण किया जा सकता है। उससे पहले, केंद्र और राज्यों के संबंधों को कमजोर करना अथवा संसद द्वारा पारित कानूनों को फाड़ना कोई लोकतांत्रिक अधिकार नही बल्कि अराजकता है।
रैली की वीडियो भी सोशल मीडिया पर तेजी से शेयर की जा रही है। जिसमें हम देख सकते हैं कि हजारों ट्रैक्टरों-ट्रकों के साथ ये रैली निकाली गई है। कई किसान इस रैली में मौजूद हैं।
आंध्र प्रदेश के एक किसान को डब्बी मिर्च की अब तक की सबसे बड़ी कीमत मिली है। वह अपनी उपज बेचने कर्नाटक के बैदागी स्थित एशिया के सबसे बड़े मिर्च मार्केट में पहुँचे थे।