निकाह होने के बाद से ही पीड़िता पर उसके ससुर और देवर की नीयत खराब थी। दोनों उस पर शारीरिक संबंध बनाने का दबाव डालते थे। जब उसने इनकार कर दिया तो उसे और उसके ढाई साल के बच्चे को मारपीट कर घर से निकाल दिया।
ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड की ओर से दाखिल अपनी याचिका में यह भी कहा गया कि धार्मिक प्रथा को चुनौती देने वाली जनहित याचिका उस व्यक्ति द्वारा दायर नहीं की जा सकती, जो उस धार्मिक संप्रदाय का हिस्सा नहीं है।
"सहारनपुर जिले में महिलाओं का हलाला करवाने के लिए मदरसों में लड़कों को रखा जाता है। यही नहीं, उम्र और सुन्दरता के अनुसार वो महिलाओं के हलाला का पैसा लेते हैं।" अब सोचिए, इनकी स्थिति कितनी बदतर है। लेकिन फिर भी आवाज़ उस पर उठानी है, जिस पर इनका समुदाय इजाजत दे।
निकाह के बाद से ही निकाई अब्बा उर्फ अनवर खान ने गंदी निगाह रखनी शुरू कर दी थी। जब भी ससुराल के लोग घर पर मौजूद नहीं होते थे, तो वह उसके पास पहुँच जाता था और उसके सामने अश्लील हरकतें करता था। जब पति ने तीन तलाक दे दिया तो उसने कहा, "तुम्हारे शौहर ने तुम्हें तलाक दे दिया है, अब हलाला करने के लिए तुम्हें मेरे साथ संबंध बनाने होंगे।"