आईआईटी गुवाहाटी के एक असिस्टेंट प्रोफेसर ने हाई कोर्ट में मंदिर के खिलाफ याचिका डाली है। उनका दावा है कि यह 2015 तक सिर्फ़ एक चबूतरा था, जहाँ पीपल के पेड़ के नीचे कुछ मजदूरों ने देवी-देवताओं की प्रतिमाएँ रख दी थी।
याचिका में गहलोत सरकार के ऊपर आरोप लगाया गया है कि उन्होंने राजस्थान हाईकोर्ट के उस फैसले को क्रियान्वित नहीं किया, जिसके तहत कोर्ट ने यह आदेश दिया था कि राजस्थान में पूर्व मुख्यमंत्री सरकारी खर्चे पर आजीवन सुविधाएँ नहीं उठा सकेंगे।
राज्य के विभिन्न न्यायालयों में रिक्त सिविल जजों के पदों पर भर्ती के लिए मई 2019 को राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से परीक्षा आयोजित की गई थी। लोक सेवा आयोग ने जुलाई में इस परीक्षा का रिजल्ट भी जारी कर दिया था।
दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा कि पी चिदंबरम के खिलाफ आरोप बेहद गंभीर हैं और इसमें आरोपित की भूमिका काफी सक्रिय रही है। अगर इस परिस्थिति में चिदंबरम को जमानत दी जाती है, तो यह जनहित के खिलाफ होगा।
किसी भी अदालत का काम धार्मिक मान्यताओं, रीति-रिवाजों और उसमे लोगों की आस्था से छेड़छाड़ करना नहीं है। पशुओं पर अत्याचार की बात करने वाले पहले देखें कि मांस उद्योग के लिए जानवरों पर होने वाला क्रूरतापूर्ण व्यवहार कितना जायज़ है?
याचिका में कहा गया है कि एसआईटी को आदेश दिया जाए कि वह इस मामले में ज़ब्त मोबाइल, लैपटॉप, वीडियो, सीडी आदि की सूची कोर्ट में पेश करे, क्योंकि इनके साथ छेड़छाड़ की जा सकती है। साथ ही पूरे मामले की जाँच कोर्ट की निगरानी में कराने की माँग भी की गई है।
याची पक्ष ने कोर्ट को आरोपितों की मौत की बात नहीं बताने के लिए माफ़ीनामा देने के साथ साल 2016 के उसके आदेश की याद दिलाई। मृतक समर के बेटे और प्रदीप की विधवा रेनू ने आवेदन में कहा है कि माननीय उच्च न्यायालय यमराज को निर्देश दे कि वह दोनों आरोपितों को पृथ्वी पर वापस भेजें ताकि वे दोनों कोर्ट द्वारा मुकर्रर सज़ा पूरी करें।
रावत के वकीलों ने अदालत को बताया कि इस मामले की जॉंच का अधिकार सीबीआई को नहीं है। राज्य सरकार ने राष्ट्रपति शासन के दौरान जारी नोटिफिकेशन वापस लेकर SIT से जॉंच कराने का फैसला किया था।
"सरकार पारम्परिक तरीके से माता त्रिपुरेश्वरी मंदिर में पूजा करती आ रही है। पशु बलि का अनुसरण स्वतंत्रता से पहले, महाराजा के शासनकाल से चली आ रही है। घरेलू तौर पर दी गई पशु बलि पूजा करने का एक अभिन्न अंग रहा है, तो इसे रोका कैसे जा सकता है?"
गोपनीय रिपोर्ट की शुरुआती जाँच के बाद तीनों जजों पर लगे आरोपों को सही पाया गया और तीनों को निलंबित कर दिया गया। निलंबन के साथ ही तीनों को कारण बताओ नोटिस भी जारी किया गया है। इसका जवाब मिलने के बाद हाईकोर्ट आगे की कार्यवाही करेगा।