"हमें अल्लाह का खौफ है और किसी का खौफ नहीं। हम हाथ भी खूब मिला रहे हैं और आपस में मिलकर बैठ रहे। नमाज पढ़ते हैं। हमें अल्लाह पर भरोसा है। हमें कुछ नहीं होगा। मोदी को होगा। क्योंकि मोदी जाते हैं बाहर। उन्हें डर है। हमें कोई डर नहीं है। हम दिन रात एक साथ हैं सारे... और अल्लाह हमारे साथ है।"
छात्रों ने गेट को तोड़ने के साथ-साथ प्रशासनिक भवन को भी नुकसान पहुँचाया। कार्यवाहक कुलपति जब मामले को सुलझाने की कोशिश कर रहे थे उसी समय कुछ छात्रों ने उनके ऑफिस की खिड़की की काँच तोड़ अंदर घुसने की कोशिश।
इंटेलिजेंस के अधिकारियों के अनुसार जहाँजैब सामी नामक यह कश्मीरी, आईएस खुरासान विंग के पाकिस्तानी कमांडर हुजैफा अल बाकिस्तानी के सम्पर्क में था, जिसने कश्मीरी युवाओं को रेडिकलाइज कर आतंकी संगठन ज्वाइन करवाने में बड़ी भूमिका निभाई थी।
शरजील इमाम के समर्थन में जामिया के छात्रों द्वारा रैली निकालने के बाद अब इन छात्रों ने ऐलान किया है कि वो लोकतंत्र को नहीं, अल्लाह को मानते हैं। फेसबुक पर Students of Jamia नाम के पेज ने लिखा है कि ला इलाहा इल्लल्लाह मुहम्मदुर रसुल्लाह, लोकतंत्र के खिलाफ है।
जामिया के छात्रों ने कहा कि माहौल ऐसा बना दिया गया है जैसे शरजील कोई देशद्रोही हो। साथ ही यह भी आरोप लगाया गया कि देश में नफरत का माहौल बना दिया गया है क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शरजील इमाम की विचारधारा से डरते हैं। उन्होंने धमकाया कि हज़ारों शरजील पैदा होंगे।
कम बालों वाले प्राणी ने कहा, "मैंने कहा कि वॉलेट है, अब इसमें तुम हार्डवेयर, सॉफ्टवेयर, गूगल, एचडी, क्रोमा, फ्लैट, लीनियर, लहसुन आदि छिड़काव करते हुए हजार शब्दों का आर्टिकल लिखो और साबित करो कि वॉलेट है। और हाँ, मार्च आ रहा है, तुम्हारा इन्क्रीमेंट इसी पर निर्भर करेगा कि ये वॉलेट बन पाता है कि नहीं।"
CAA के नाम पर दिल्ली जामिया नगर इलाके में पिछले वर्ष 15 दिसंबर को हुई हिंसा मामले में दिल्ली पुलिस ने जाँच के बाद और शरजील इमाम के कबूलनामे के बाद कोर्ट में चार्जशीट दायर की है। इस चार्जशीट में 100 गवाहों के बयानों और CCTV फुटेजों को भी शामिल किया गया है।
प्रोपेगेंडा पोर्टल 'ऑल्टन्यूज़' ने दावा किया था कि विडियो में दिख रहे छात्र के हाथ में पत्थर नहीं, वॉलेट है। नए विडियो ने उसे फिर से झूठा साबित किया है। इस विडियो में अन्य छात्रों के हाथ में भी पत्थर दिख रहे हैं।
यहाँ डिफेंड मत कीजिए, सवाल पूछिए और बार-बार पूछिए कि वो कहाँ से आए थे? सवाल पूछिए कि जब उसके हाथ में वॉलेट था तो उसने सारे सोशल मीडिया अकाउंट डीएक्टिवेट क्यों कर लिए? सवाल पूछिए कि पत्थर क्या आसमान से गिरे थे पुलिस पर?
"पुलिसकर्मियों पर हमले किए जाने को कभी सही नहीं ठहराया जा सकता है। वर्दी में ड्यूटी पर लगे पुलिसवालों पर हमले करने के पक्ष में मैं कोई भी तर्क बर्दाश्त नहीं करूँगा। मैं तो कहता हूँ कि इसके बचाव में कोई तर्क हो ही नहीं सकता।"