Saturday, November 23, 2024

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Kanhaiya Kumar

पिछले 15 साल के सारे चुनाव और बेगूसराय का वोटिंग पैटर्न कन्हैया को बनाते हैं नंबर 3

2004, 2009 और 2014 के चुनावों में पहले तीन स्थान पर जो पार्टियाँ थीं, 2015 के विधानसभा चुनावों में वामपंथी पार्टी को जितनी सीटें (शून्य) मिलीं, और बेगूसराय के भूमिहारों द्वारा कमल छाप पर मुस्लिम को भी जिताने का पैटर्न, कन्हैया कुमार को तीसरे पोजिशन से आगे नहीं ले जाता दिखता।

कन्हैया कुमार के समर्थन में केआरके, कहा ‘ईमानदार व्यक्ति को वोट देना चाहिए’

उन्होंने राहुल गाँधी और तेजस्वी यादव को टैग करते हुए कहा कि यदि वे भी कन्हैया कुमार का समर्थन नहीं करते तो वे भी देशसेवा नहीं कर रहे हैं।

कन्हैया को 3 साल स्टेज पर परफ़ॉर्म करवाकर, महागठबंधन ने कहा- आगे बढ़ो!

आरजेडी प्रवक्ता मनोज झा ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में बताया कि राजद 20, कॉन्गेस 9, उपेंद्र कुशवाहा की पार्टी राष्ट्रीय लोक समता पार्टी (रालोसपा) को 5, जीतन राम मांझी की पार्टी हिन्दुस्तानी अवाम मोर्चा (हम) को 3 और मुकेश सहनी की पार्टी विकासशील इंसान पार्टी (वीआईपी) को 3 सीटें दी गई है।

‘मुझे मोदी से दिक्कत नहीं है, भक्तों से है’ – बोत हार्ड भाई, बोत हार्ड…

कुणाल ये नहीं समझ पाए कि उनसे बड़े-बड़े कॉमेडियन, जिन्होंने निजी आक्षेप भी किए, पोलिटिकल व्यंग्य और कटाक्ष भी किए, रीगन के इनॉगुरेशन तक में बोले, लेकिन उन्हें 'फक', 'शिट', 'L@udu', 'g**nd', 'l@ud@' कहने की ज़रूरत नहीं पड़ी।

JNU ‘टुकड़े-टुकड़े’ कार्यक्रम पहले से था तय, नारा लगाने वाले कश्मीरी उमर के दोस्त

तीसरे आरोपित उमर गुल ने कहा था कि फेसबुक के ज़रिए उसे इस कार्यक्रम की जानकारी मिली थी। लेकिन अक़ीब व मुज़ीब की तरह ही उमर गुल भी पहले से ही लगातार फ़ोन पर संपर्क में थे।

2016 में राहुल पहुँचे थे कन्हैया के लिए JNU, फिर अब बिलकुल चुप क्यों हैं?

राहुल के इस चुप्पी पर सवाल ये उठता है, जब 2016 मे वो जेएनयू की भीड़ से मिलने पहुँचे थे, तो अब आरोपितों के प्रति उनकी सहानुभूति कहाँ चली गई?

‘भारत तेरे टुकड़े होंगे’: कन्हैया चिल्ला रहा था, कर रहा था भीड़ का नेतृत्व – पुलिस ने की पुष्टि

1200 पन्नों की चार्जशीट में इस बात का ज़िक्र है कि 2016 में हुई यह घटना सोची-समझी साज़िश और पूरी प्लानिंग के साथ हुई थी। पुलिस ने इस मामले से जुड़े 90 गवाहों को साक्ष्य के तौर पर रखा है

कन्हैया, उमर समेत टुकड़े-टुकड़े गैंग पर जल्द होगा आरोप पत्र दायर

हालाँकि छद्म-लिबरलों और वामपंथी मीडिया गिरोह ने इसे 'डिस्सेंट', यानि 'असहमति की अभिव्यक्ति' बताते हुए सरकार को घेर लिया कि 'फ़्रीडम ऑफ़ एक्सप्रेशन' या 'अभिव्यक्ति के मौलिक अधिकार का हनन किया जा रहा है।

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