Thursday, April 25, 2024
Homeराजनीति2016 में राहुल पहुँचे थे कन्हैया के लिए JNU, फिर अब बिलकुल चुप क्यों...

2016 में राहुल पहुँचे थे कन्हैया के लिए JNU, फिर अब बिलकुल चुप क्यों हैं?

राहुल के इस चुप्पी पर सवाल ये उठता है, जब 2016 मे वो जेएनयू की भीड़ से मिलने पहुँचे थे, तो अब आरोपितों के प्रति उनकी सहानुभूति कहाँ चली गई?

हाल ही में दिल्ली पुलिस द्वारा कन्हैया कुमार पर देशद्रोह मामले में चार्जशीट दाख़िल की गई है। ये मामला 2016 का है, जब जेएनयू में कन्हैया कुमार के नेतृत्व में “भारत तेरे टुकडे होंगे” जैसी नारेबाज़ी की गई थी।

इस मामले के तूल पकड़ने पर जेएनयू समेत देश भर में माहौल गरमा गया था। ये लाज़मी था, आखिर देश के इतने प्रतिष्ठित शैक्षिक संस्थान में जहाँ हर साल कई पीएचडीधारी बुद्धिजीवी निकलते हैं, वहाँ ऐसी घटना का होना बिल्कुल भी अपेक्षित नहीं था। विचारधाराओं पर बहस अपनी धरातल पर ठीक है, लेकिन देशविरोधी नारेबाज़ी करना किसी भी राष्ट्रवादी व्यक्ति की भावनाओं को ठेस पहुँचाना है।

इस मामले पर जब कन्हैया कुमार की गिरफ़्तारी हुई तो जेएनयू में जैसे हड़कंप मच गया, वहाँ के छात्र क्लासरूम छोड़कर धरने पर बैठ गए। इन लोगों को कई विपक्षी दल के नेताओं का समर्थन मिला, जिनमें राहुल गाँधी का नाम शामिल था, राहुल इन धरने पर बैठे लोगों के समर्थन में जेएनयू भी पहुँचे थे। लेकिन, अब हैरान करने वाली बात ये है कि कन्हैया समेत सभी आरोपितों के ख़िलाफ़ चार्जशीट आने के बाद राहुल की किसी भी प्रकार की कोई प्रतिक्रिया देखने को नहीं मिली है।

राहुल के इस चुप्पी पर सवाल ये उठता है, जब 2016 मे वो जेएनयू की भीड़ से मिलने पहुँचे थे, तो अब आरोपितों के प्रति उनकी सहानुभूति कहाँ चली गई? ऐसा भी नहीं है कि जिस दिन जेएनयू मामले पर चार्जशीट दायर की गई, उस दिन वो सोशल मीडिया पर एक्टिव न हुए हों। 14 जनवरी को उन्होंने पूरे देश को पोंगल के त्यौहार की शुभकामनाएँ भी दी और साथ ही में उन्होंने प्रधानमंत्री को कोटलर अवार्ड को लेकर प्रधानमंत्री पर तंज भी कसा

लेकिन जेएनयू मामले पर उनका किसी भी प्रकार का कोई बयान सामने नहीं आया हैं, अब इसे लोकसभा चुनावों का असर भी कहा जा सकता है और राहुल के अवसरवादी होने का सबूत भी। कोई पार्टी या कोई नेता जिसके लिए कुर्सी से बढ़कर कुछ भी न हो, वो अपनी ज़मीन तैयार करने के लिए बिना सोचे-समझे किसी के भी समर्थन में खड़ा तो हो जाता है, लेकिन चुनावों के आते ही उन्हीं मामलों पर चुप्पी साध लेता है, ताकि किसी भूल से मतदाताओं की सोच पर नकारात्मक असर न पड़े।

Special coverage by OpIndia on Ram Mandir in Ayodhya

  सहयोग करें  

एनडीटीवी हो या 'द वायर', इन्हें कभी पैसों की कमी नहीं होती। देश-विदेश से क्रांति के नाम पर ख़ूब फ़ंडिग मिलती है इन्हें। इनसे लड़ने के लिए हमारे हाथ मज़बूत करें। जितना बन सके, सहयोग करें

ऑपइंडिया स्टाफ़
ऑपइंडिया स्टाफ़http://www.opindia.in
कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

संबंधित ख़बरें

ख़ास ख़बरें

मार्क्सवादी सोच पर नहीं करेंगे काम: संपत्ति के बँटवारे पर बोला सुप्रीम कोर्ट, कहा- निजी प्रॉपर्टी नहीं ले सकते

संपत्ति के बँटवारे केस सुनवाई करते हुए सीजेआई ने कहा है कि वो मार्क्सवादी विचार का पालन नहीं करेंगे, जो कहता है कि सब संपत्ति राज्य की है।

मोहम्मद जुबैर को ‘जेहादी’ कहने वाले व्यक्ति को दिल्ली पुलिस ने दी क्लीनचिट, कोर्ट को बताया- पूछताछ में कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला

मोहम्मद जुबैर को 'जेहादी' कहने वाले जगदीश कुमार को दिल्ली पुलिस ने क्लीनचिट देते हुए कोर्ट को बताया कि उनके खिलाफ कुछ भी आपत्तिजनक नहीं मिला।

प्रचलित ख़बरें

- विज्ञापन -

हमसे जुड़ें

295,307FansLike
282,677FollowersFollow
417,000SubscribersSubscribe