Saturday, October 12, 2024
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JNU ‘टुकड़े-टुकड़े’ कार्यक्रम पहले से था तय, नारा लगाने वाले कश्मीरी उमर के दोस्त

पुलिस जाँच में यह पाया गया कि वो सभी लोग आपस में एक दूसरे को जानते हैं। यही नहीं, 9 फ़रवरी को जेएनयू में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम की तैयारी कश्मीरी छात्रों ने उमर ख़ालिद के साथ मिलकर की थी।

पिछले दिनों दिल्ली पुलिस ने जेएनयू देशद्रोह मामले की चार्जशीट पटियाला हाउस कोर्ट में दाख़िल कर दी है। दिल्ली पुलिस ने जवाहर लाल नेहरू विश्वविद्यालय में आतंकी अफ़जल गुरू के बरसी पर आयोजित कार्यक्रम में देशद्रोह के नारा लगाए जाने की पुष्टि अपने चार्जशीट में की है। यही नहीं आरोपितों के ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत होने का भी दावा किया है।

9 फ़रवरी 2016 को जेएनयू कैंपस में 7 कश्मीरी छात्रों पर देश विरोधी नारा लगाने का आरोप है। इन सभी कश्मीरी छात्रों ने अपने बयान में कहा था कि वो कन्हैया कुमार,उमर ख़ालिद और अनिर्बन भट्टाचार्य में किसी को भी नहीं जानते हैं। सोमवार को दिल्ली पुलिस द्वारा दाख़िल किए गए चार्जशीट में यह बात लिखी हुई है। लेकिन अंग्रेज़ी की वेबसाइट डीएनए के रिपोर्ट में इस बात की चर्चा की गई है कि पुलिस जाँच में यह पाया गया कि वो सभी लोग आपस में एक दूसरे को जानते हैं। यही नहीं 9 फ़रवरी को जेएनयू में आयोजित होने वाले इस कार्यक्रम की तैयारी कश्मीरी छात्रों ने उमर ख़ालिद के साथ मिलकर की थी।

पुलिस द्वारा दाख़िल इस रिपोर्ट में कहा गया है कि मुनीद व मुज़ीब नाम के दो आरोपित न सिर्फ़ पहले से एक दूसरे को जानते हैं बल्कि रिश्ते में भी भाई हैं। जबकि कुछ आरोपितों ने माना है कि उन्हें सोशल मीडिया के ज़रिए कार्यक्रम की जानकारी मिली थी।

अक़ीब नाम के एक आरोपित ने पुलिस को बताया कि इस कार्यक्रम के लिए उन्हें किसी ने भी आमंत्रित नहीं किया था और न ही वो कार्यक्रम के किसी भी आयोजक को पहले से जानते हैं।

अक़ीब ने पुलिस को यह भी बताया कि उसने चेहरा ठंड से बचने के लिए ढक रखा था। जबकि पुलिस ने जब अक़ीब के कॉल डीटेल्स को खँगाला तो पता चला कि कार्यक्रम के कुछ दिनों पहले ही अक़ीब और उमर के बीच फोन पर बात हुई थी।

अक़ीब के मोबाईल लोकेशन के मुताबिक वह 9 फ़रवरी की सुबह से ही जेएनयू में मौजूद था। पुलिस ने अपने जाँच में यह भी पाया कि अक़ीब कार्यक्रम के दौरान ‘आज़ादी’ लिखा हुआ एक तख़्ता लिए उमर, अनिर्बन, उमैर व बशरत नाम के छात्र के बगल में खड़ा था।

इसी तरह दूसरे आरोपित मुज़ीब ने पुलिस को बताया कि उसे किसी ने कार्यक्रम में आने के लिए आमंत्रित नहीं किया था। जबकि पुलिस ने जब मुज़ीब के कॉल डीटेल्स को खँगाला तो पाया कि कार्यक्रम से महज महीने भर पहले 28 दिसंबर 2015 को दोनों के बीच बात हुई थी।

पुलिस चार्जशीट के मुताबिक कार्यक्रम के दौरान मुज़ीब ने पत्थरबाज़ों के समर्थन में भी नारा लगाया था। इसी तरह पुलिस को अपने बयान में तीसरे आरोपित उमर गुल ने कहा था कि फेसबुक के ज़रिए उसे इस कार्यक्रम की जानकारी मिली थी। लेकिन अक़ीब व मुज़ीब की तरह ही उमर गुल भी पहले से ही लगातार फ़ोन पर संपर्क में थे।

यही नहीं उमर और मुज़ीब के बीच जेएनयू कार्यक्रम से दो दिन पहले भी फोन पर बात हुई थी। पुलिस जाँच में यह भी पाया गया कि उमर ख़ालिद ने ही अवस्थी व अनिर्बन के परमिशन लेटर पर अपना साइन किया था।

डीएनए के आलावा इंडिया टुडे ने अपने रिपोर्ट में भी लिखा है कि दिल्ली पुलिस के पास उमर व अनिर्बन के ख़िलाफ़ पर्याप्त सबूत मिला है। यही नहीं इस कार्यक्रम के आयोजक की भूमिका भी यही दोनों निभा रहे थे। पुलिस ने उमर ख़ालिद व अनिर्बन के ईमेल से कुछ ऐसे मेल को भी रिकवर किया था जिसमें आज़ादी व कश्मीर जैसे शब्दों की चर्चा थी।

पिछले दिनों कई सारे सबूतों के आधार पर दिल्ली पुलिस ने कन्हैया व दूसरे आरोपितों के ख़िलाफ़ पटियाला हाउस कोर्ट में चार्जशीट दाख़िल की। कन्हैया व उमर के अलावा पुलिस ने शेहला राशीद व सीपीआई नेता डी राजा की बेटी के ख़िलाफ़ भी चार्जशीट दाख़िल की है। इस चार्जशीट में यह दावा किया गया है कि जेएनयू में होने वाला यह कार्यक्रम पहले से सुनियोजित था।                 

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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