विपक्ष की उलूल-जुलूल बयानबाजी से पाकिस्तान और अलगाववादियों को भी शह मिल रही है। इसके कारण सोशल मीडिया में यूजर्स जमकर विपक्ष पर निशाना साध रहे हैं और कह रहे हैं कि देश के विपक्षी नेताओं ने अपने रुख से पाकिस्तान को भी हैरान कर दिया है।
मंगलवार को पाकिस्तान के मंत्री फवाद हुसैन ने ट्वीट करते हुए लिखा था- "मैं भारतीय सेना में मौजूद पंजाबियों से अपील करता हूँ कि वे कश्मीर में हो रहे जुल्म का हिस्सा ना बनें और कश्मीर में ड्यूटी से इनकार कर दें।"
वाइको को चेन्नई की एक अदालत लिट्टे का समर्थन करने पर देशद्रोह का दोषी करार दे चुकी है। एक साल की सजा सुनाते हुए उन पर 10,000 जुर्माना लगाया गया था। हालाँकि बाद में उनकी सजा पर रोक लगा दी गई थी।
हम बिहार में रहते हैं जहाँ की आबादी 13 करोड़ के लगभग है। हमें कश्मीर दिखता है जहाँ की आबादी यहाँ का मुश्किल से दसवाँ हिस्सा होगी। मुझे ये दिखता है कि वहाँ कितना ध्यान दिया जा रहा है और यहाँ कितन कम ध्यान दिया जाता है।
आम धारणा यही है कि जम्मू-कश्मीर पूरी तरह भारत में घुलमिल नहीं पाया तो इसकी वजह नेहरू की नीतियॉं थी। मोदी सरकार ने कॉन्ग्रेस को इससे पीछा छुड़ाने का मौका दिया। पर अफसोस, कॉन्ग्रेस न विपक्ष का धर्म निबाह पाई न राष्ट्रधर्म। उलटे खुद के वजूद के लिए नया संकट खड़ा कर लिया।
सीताराम येचुरी ने कहा कि सरकार ने तीन साल पहले कश्मीर के मामले में कोई भी फैसला करने से पहले सभी पक्षकारों से पर्याप्त विचार विमर्श करने का वादा किया था। लेकिन अब सरकार ने विचार विमर्श की प्रक्रिया में शामिल होने वाले पक्षकारों को जेल में डाल दिया।
भाजपा नेतृत्व वाली केन्द्र सरकार ने सोमवार को जम्मू-कश्मीर को विशेष दर्जा देने वाले संविधान अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने और राज्य को दो केन्द्र शासित प्रदेशों जम्मू-कश्मीर और लद्दाख में बांटने का प्रस्ताव पेश किया था।
आशंका जताई जा रही थी कि 370 के बहाने अलगाववादी और राज्य के नेता लोगों को भड़काने का काम कर सकते हैं। फिलहाल घाटी पूरी तरह शांत है। हालॉंकि अभी सुरक्षा बलों की तैनाती में कटौती के कोई संकेत नहीं हैं।
इन लोगों से ये वादा किया गया कि इन्हें स्थायी नागरिक का दर्जा दिया जायेगा। मगर इस स्थायी नागरिकता के साथ शर्त ये थी कि आने वाले परिवार और उनकी आगे की पीढियाँ सिर्फ सर पर मल ढोने का काम ही करेंगी। और वो शर्त आज भी लागू है।
हम आजम खान जैसे नेताओं के सेक्सिस्ट कमेंट पर हैरान नहीं होते क्योंकि जिस पार्टी के वो नेता हैं उसके संस्थापक ही रेप जैसी घटनाओं को जस्टिफाई करते हैं, लेकिन भाजपा से जुड़े लोग भी जब ऐसी ही भाषा में बात करने लगे और वह भी 370 के संदर्भ में तो यह केवल महिलाओं को लेकर उनकी ओछी सोच ही नहीं है, बल्कि उनको भी नीचा दिखाता है जिन्होंने एक विधान-एक निशान के लिए अपनी जिंदगी खपा दी।