कश्मीर में सेना के सफल प्रयास से ही हिज़्बुल मुज़ाहिद्दीन का गढ़ माने जाने वाला ज़िला बारामूला को अब आतंक-मुक्त घोषित कर दिया गया है। सेना और पुलिस की इस क़ामयाबी पर पूरे देश को गर्व होना चाहिए।
कश्मीर के रहने वाले डॉ अयाज़ रसूल नाज़की 2007 में शारदा पीठ गए थे। डॉ नाज़की की माँ के पूर्वज हिन्दू थे इसलिए वे अपनी जड़ों को खोजने शारदा पीठ गए थे। गत 60 वर्षों में वे पहले और अंतिम भारतीय कश्मीरी थे जो शारदा पीठ गए थे।
मक़बूल शेरवानी के इस कृत्य को आज भी याद किया जाता है और बारामुला में भारतीय सेना ने उसका स्मारक भी बनवाया है। प्रसिद्ध उपन्यासकार मुल्कराज आनंद मक़बूल शेरवानी से इतने प्रभावित हुए थे कि उन्होंने उसके ऊपर एक उपन्यास लिखा जिसका शीर्षक था: Death of a Hero.
सूत्र तो यह भी बता रहे हैं कि शाह फ़ैसल ने यह निर्णय ट्विटर पर चल रहे #10YearsChallenge की वजह से लिया है। 10 साल पहले जो हालात राजनीति में थे, वो उनको ही ‘रीस्टोर’ करने के मकसद से शायद राजनीति में उतरना चाह रहे हों।
कश्मीर में कार्यरत IPS अधिकारी अभिनव कुमार ने अलगाववादियों को कश्मीर पर भारतीय भावनाओं को समझने की हिदायत देने के साथ-साथ शाह फ़ैसल के इस्तीफे को प्रोपगेंडा बताया है
अवंतीपोरा में आतंकवादियों के छिपे होने की खुफिया सूचना पर पहुंची पुलिस से आतंकियों की मुठभेड़ हुई जिसमे छः आतंकी मारे गए। मारे गये आतंकवादियों में से एक अलकायदा सरगना और कश्मीरी आतंकी संगठन गजवातुल हिन्द के मुखिया जाकिर मूसा का करीबी सहयोगी सोलिहा भी शामिल है।