कुम्भ के आयोजन में 200 वर्षों बाद ऐसा हुआ है कि कोई बड़ी भगदड़ नहीं मची। किसी के भीड़ में कुचल कर मारे जाने की ख़बर चलाने का गिद्धों को मौक़ा ही नहीं मिला। भला आयातित विचारधारा और उपनिवेशवादी मानसिकता के लोग ऐसी कामयाबी कैसे सहन कर पाते?
इतने विशाल जनसैलाब का सफलतापूर्वक प्रबंधन करना अपने आप में एक बड़ी चुनौती मानी जाती थी। लेकिन मोदी सरकार और उत्तर प्रदेश में योगी सरकार ने यह साबित कर दिखाया कि हिन्दुओं की आस्था को यदि प्राथमिकता और समय दिया जाए तो उन्हें आसानी से ही किसी आपदा में बदलने से रोका जा सकता है।
पीएम मोदी ने प्रयागराज कुम्भ में जाकर वहाँ के सफाई अभियान की तारीफ करते हुए कहा था कि 22 करोड़ लोगों के बीच सफाई बड़ी जिम्मेदारी थी और इन सफाईकर्मियों ने साबित किया कि दुनिया में नामुमकिन कुछ भी नहीं है।
अपने संबोधन में पीएम मोदी ने कहा, "प्रयाग की भूमि पर आकर अपने आप को धन्य महसूस कर रहा हूँ। इस बार संगम में पवित्र स्नान करने का अवसर मिला। प्रयागराज का तप और तप के साथ इस नगरी का युगों पुराना नाता रहा है।"
PM मोदी ने कहा सफाई कर्मियों को धन्यवाद देते हुए कहा कि उन्होंने साबित कर दिया है कि नामुमकिन कुछ भी नहीं है। कर्मयोगियों-स्वच्छाग्रहियों की मेहनत का पता मुझे दिल्ली में चलता था। मोदी ने कहा कि मीडिया में भी मैंने देखा है कि इस बार लोगों ने कुंभ की सफाई की चर्चा की। इस बार कुंभ की पहचान स्वच्छ कुंभ के रूप में हुई है।
हिन्दू धर्म की सहिष्णुता का ये एक बहुत बड़ा उदाहरण है। त्यौहार हिन्दुओं का, डुबकी हिन्दुओं की, ताम-झाम हिन्दुओं का और हाथ धो रहे हैं ईश्वर के पुत्र पवित्र यीशु!
प्रशासन 1000 से ज़्यादा सीसीटीवी कैमरों की मदद से पूरे मेला क्षेत्र की निगरानी कर रहा है। पूरे इलाके पर नजर रखने के लिए 40 निगरानी टावर का भी निर्माण किया गया है।
सरकारी बयान के बाद मैंने कुंभ को एक पत्रकार के नजरिए से देखना शुरू कर दिया। मैं देखना चाहता था कि क्या वाकई में कुंभ में पहुँचने वाले करोड़ों श्रद्धालुओं के लिए अच्छी तैयारी की गई है या सबकुछ कागजी और हवा-हवाई है?
आप प्रयागराज कुम्भ में हैं तो बहुत अच्छा, नहीं तो कहीं भी गंगा स्नान कर इस दिन के माहात्म्य का स्वतः अनुभव करें। हो सके तो मौन रहें और ख़ुद अनुभव करें कि क्यों मौन को नाद से भी प्रभावशाली माना गया है।