विषय
lead story
चिदंबरम को ले गई CBI-ED की टीम, मेडिकल के बाद, कभी भी हो सकता है गिरफ़्तारी का ऐलान
पी चिदंबरम की गिरफ्तारी के बाद उनके बेटे कार्ति चिदंबरम ने कहा कि इस केस के कई साल बीतने के बाद भी सीबीआई के पास चार्जशीट में उनके पिता का नाम नहीं है। कार्ति ने कहा कि देश के कई बड़े मुद्दों से ध्यान भटकाने के लिए सरकार ने ये कदम उठाया है।
प्रेस फ्रीडम का रोना रो रहे NDTV और रॉय दम्पति का काला चिट्ठा: शेयर्स की धोखाधड़ी से लेकर ICICI लोन तक
आख़िर एनडीटीवी का असली मालिक कौन सा व्यक्ति या संस्था है? शेयर्स की हेराफेरी के पीछे मकसद क्या था? इन सबमें आईसीआईसीआई बैंक का क्या हित था? 2004 से अब तक की कहानी पढ़ कर जानिए क्यों 'मीडिया की स्वतन्त्रता' का रोना रो रहे हैं रॉय दम्पति?
CBI-ED ने किया चिदंबरम की याचिका पर SC में कैविएट दायर, कहा- हमें सुने बिना न दें कोई फैसला
CBI तथा प्रवर्तन निदेशालय (ED) ने पी चिदम्बरम की गिरफ्तारी से राहत माँगने वाली याचिका के संदर्भ में सुप्रीम कोर्ट में कैविएट दाखिल किए हैं। अब कोर्ट कैविएट दायर करने वालों का पक्ष सुने बिना मामले में कोई फैसला नहीं सुना सकता है।
रिश्वत के पैसे से चिदंबरम ने खरीदे स्पेनिश टेनिस क्लब और विदेश में सम्पत्ति: ED
पीटर मुखर्जी ने कार्ति चिदंबरम को ₹3.09 करोड़ डेबिट नोटों में हेरफ़ेर के ज़रिए दिए। इसके लिए ऐसे लेन-देन कागज़ों पर दिखाए गए, जो असल में हुए ही नहीं।
हमाम में अकेले नंगे नहीं हैं चिदंबरम, सोनिया और राहुल गॉंधी सहित कई नेताओं पर लटक रही तलवार
कॉन्ग्रेस की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गाँधी और उनके बेटे राहुल गाँधी नेशनल हेराल्ड केस में आरोपित हैं और फिलहाल जमानत पर बाहर हैं। दिसंबर 2015 में दिल्ली की एक अदालत ने दोनों को 50-50 हज़ार रुपए के पर्सनल बॉन्ड पर ज़मानत दी थी।
बाप ने कहा बेटे की मदद करो, बेटे ने माँगे $10 लाख: इन्द्राणी-पीटर के बयानों से बुरे फँसे चिदंबरम
2008 में एफआईपीबी की मंजूरी में कुछ दिक्कतें आईं तो पीटर मुखर्जी और इन्द्राणी ने 'उचित सलाह' के लिए तत्कालीन केंद्रीय वित्त मंत्री पी चिदंबरम के बेटे कार्ति चिदंबरम से मुलाक़ात की। कार्ति ने मुखर्जी दम्पति से 10 लाख डॉलर रिश्वत के रूप में माँगे।
अगर चपरासी पूर्व-सांसद से ज्यादा कमाते हैं, तो कॉन्ग्रेसी कब करियर बदल रहे हैं?
7 दिन का यह नोटिस दिए जाने के पहले पूर्व सांसदों को चुनाव हारे लगभग 2 महीने बीत चुके हैं। कम होते हैं 2 महीने बोरिया-बिस्तर समेटने के लिए?
मैं अनुराग ‘समय’ कश्यप हूँ, मुझे हक़ीक़त से क्या, मेरी जिंदगी का एक्के मकसद है – प्रपंच और प्रलाप चलता रहे
प्रगतिशील लिबरल वर्ग का वास्तविक डर संवाद के साधनों का दोतरफा हो जाना है। अब यह संभव नहीं है कि आप टीवी स्क्रीन के पीछे बैठकर इकतरफा अपने कुतर्कों का ज्ञान बाँचें और श्रोता, दर्शक, पाठक आपसे सहमत होने के लिए मजबूर हो। यह समय त्वरित संचार और प्रतिक्रिया का है। जो प्लेटफॉर्म जितना ज्यादा प्रतिक्रिया करता है ये प्रगतिशील वहाँ से अवश्य पलायन करेंगे।
डियर शेहला सबूत तो जरूरी है, वरना चर्चे तो आपके बैग में कंडोम मिलने के भी थे
हम आपकी आजादी का सम्मान करते हैं। लेकिन, नहीं चाहते कि यह आजादी उन टुच्चों को भी मिले जो आपके कंडोम प्रेम की अफवाहें फैलाते रहते हैं। बस यही हमारे और आपके बीच का फर्क है। और यही भक्त और लिबरल होने का भी फर्क है।
वॉर होगा ही नहीं, हम तो शांति की बात करते हैं… और नेहरू ने ठुकरा दी थी CDS के गठन की सलाह
नेहरू को माउंटबेटन ने आगाह किया था कि युद्ध हो सकता है। लेकिन उन्होंने उस चेतावनी को नज़रअंदाज कर CDS का गठन नहीं किया। बाद में वह इस भावना से ग्रसित हो गए कि सेनाध्यक्ष उनकी कुर्सी हथिया लेगा। आज मोदी ने सेना की वर्षों पुरानी माँग पूरी कर दी।