राज्य में शिवसेना, कॉन्ग्रेस और एनसीपी के गठजोड़ में नवाब मलिक ने अहम भूमिका निभाई थी। एनसीपी उन्हें राज्य के सबसे बड़े मुस्लिम चेहरे के रूप में पेश करती रही है। उनके भाई का वीडियो वायरल होने पर उनका कोई बयान नहीं आया है।
ऑपइंडिया ने एक ख़बर में बताया था कि कॉन्ग्रेस के अधिकतर विधायक ग्रामीण इलाक़ों से जीत कर आए हैं। ऐसे में, पार्टी को सहकारिता, कृषि और ग्रामीण सम्बन्धी एक भी विभाग न मिलना पार्टी नेताओं के बीच नाराज़गी की वजह बन रही है।
"हमारी संस्कृति में ऐसा कहा जाता है कि किसी गाय को छूने से हमारी नकारात्मकता दूर हो जाती है।" - कॉन्ग्रेसी मंत्री यशोमति के इस भाषण के बाद उन्हें सोशल मीडिया पर काफी ट्रोल किया जा रहा है। लोग उन्हें भाजपाई करार दे रहे हैं।
मंगलवार को पुणे स्थित ABVP के कार्यालय पर हमला किया गया। हमलावरों ने ABVP ऑफ़िस के बाहर लगे बोर्ड को काली स्याही से रंग दिया। बाद में खुलासा हुआ कि हमलावर राष्ट्रवादी छात्र कॉन्ग्रेस के नेता और शरद पवार की राकांपा के छात्रसंघ अध्यक्ष थे।
“हमारी सरकार अब तक सत्ता में नहीं थी। लेकिन अब आ गई है। अब मैं मंत्री बन गई हूँ, लेकिन अभी हमें अपनी जेबें भरनी बाकी है।” इस बयान पर कॉन्ग्रेस की ओर से अभी तक कोई टिप्पणी सामने नहीं आई है। न ही सहयोगी पार्टी शिवसेना और एनसीपी की तरफ से कोई बयान सामने आया है।
FREE KASHMIR बैनर को लेकर उठे बवाल पर मुख्यमंत्री भले अब तक शांत हैं लेकिन उनके 'संजय' ने मुँह खोल दिया है। संजय राउत की सफाई यह है - "जिन्होंने यह बैनर थामा था, उनका मकसद कश्मीर में फ्री इंटरनेट, फ्री मोबाइल सर्विसेज और अन्य प्रतिबंधों से है।"
"इन हमलों की वजह से देश की छवि पूरी दुनिया में खराब हो रही है। इन गुंडों को आंतकवादी कहना चाहिए, क्योंकि वे भी मुँह छिपाकर ही आते हैं। इस पर तय समय के अंदर कार्रवाई होनी चाहिए, वरना विदेश के छात्र यहाँ पढ़ने नहीं आएँगे।"
दिवंगत पूर्व मुख्यमंत्री विलासराव देशमुख के बेटे अमित देशमुख को चिकित्सा एवं संस्कृति मंत्रालय दिया गया। बाकी कॉन्ग्रेस नेताओं को आदिवासी विकास, स्कूली शिक्षण, जनजातीय विकास, मत्स्य, ओबीसी कल्याण और डेयरी विकास देकर निपटा दिया गया।
कैबिनेट विस्तार के बाद महाविकास अघाड़ी में बगावत तेज। जालना के विधायक ने समर्थकों के साथ पार्टी छोड़ने का किया ऐलान। कॉन्ग्रेस कार्यालय में तोड़फोड़ कर चुके हैं विधायक संग्राम थोपटे के समर्थक।
एनसीपी और शिवसेना अपने कोटे से एक भी मंत्री पद कॉन्ग्रेस से अदला-बदली करने के लिए तैयार नहीं है। एनसीपी और कॉन्ग्रेस नेताओं के बीच जारी घमासान के चलते दोनों दलों के नेता बैठक बीच में ही छोड़कर वहाँ से चलते बने। दोनों पार्टियों के आपसी विवाद के कारण मंत्रियों के विभागों का बँटवारा एक टेढ़ी खीर बनी हुई है।