कभी बाल ठाकरे ने ऐलान किया था वह व्यक्तिगत तौर पर जीवन में कभी भी किसी भी चुनाव में हिस्सा नहीं लेंगे। उनके बेटे उद्धव ठाकरे ने भी जीवन में कभी कोई चुनाव नहीं लड़ा। लेकिन इस बार यह टूट रहा है, मतलब दिलचस्प होगा यह चुनावी समर!
मंसूर ने ख़ुद को बचाने के लिए अपने मृत भाई की लाश को शौचालय की टंकी में डाल दिया। अमिनूल के लापता होने पर उसके चाचा ने 28 दिसंबर 2016 को वाडा पुलिस स्टेशन में शिक़ायत दर्ज कराई। इस मामले की सूचना मिलने के बाद से ही पुलिस को मंसूर पर शक़ था लेकिन...
अपनी इफ्तार पार्टी के लिए सुर्खियाँ बटोरने वाले बाबा जियाउद्दीन सिद्दीकी को 2018 में मुंबई भाजपा के अध्यक्ष आशीष शेलार ने हरा दिया था। हर साल होने वाली उनकी इफ्तार पार्टी में बॉलीवुड की ख़ान त्रिमूर्ति से लेकर कई अभिनेता-अभिनेत्री शामिल होते हैं।
देवेंद्र फडणवीस को 39% लोगों ने मुख्यमंत्री के लिए पहली पसंद माना है जबकि 6% लोग उद्धव ठाकरे के पक्ष में थे। बता दें कि उद्धव की शिवसेना भी राजग का हिस्सा है।
अपने SUV कारों से 'Save Aarey' प्रदर्शन में हिस्सा लेने वाले सेलेब्स क्या मुंबई की करोड़ों लोगों की ज़रूरतों को समझते भी हैं? सरकार 2185 पेड़ काटेगी तो 13,000 से भी अधिक लगाएगी भी। 3000 एकड़ के आरे क्षेत्र के 2.5% की ही मेट्रो को ज़रूरत है।
महाराष्ट्र की 288 सदस्यों वाली विधानसभा का कार्यकाल 9 नवंबर को समाप्त हो रहा है, जबकि हरियाणा की 90 सदस्यों वाली विधानसभा का कार्यकाल 2 नवंबर को समाप्त हो रहा है।
"जब मामला सुप्रीम कोर्ट में चल रहा हो, सब पक्ष अपनी बात रख रहे हों, सुप्रीम कोर्ट लगातार समय निकालकर बातों को सुन रही हो, तब मैं हैरान हूँ ये बयान बहादुर कहाँ से आ गए। हमारा सुप्रीम कोर्ट पर भरोसा होना चाहिए। बाबा साहब अम्बेडकर ने जो संविधान दिया है उस पर भरोसा होना चाहिए...."
कई नेताओं ने पवार का साथ छोड़ दिया है। इनमें से अधिकतर नेता भाजपा का दामन थाम रहे हैं। कई शिवसेना में भी गए हैं। ऐसे में, पवार की ढलती उम्र और गिरते स्वास्थ्य को देखते हुए एनसीपी अस्तित्व के संकट से जूझ रही है।
एक पत्रकार ने अपनी किताब में खुलासा किया है की शिवसेना के संस्थापक बालासाहेब ठाकरे के पिता स्वर्गीय प्रबोधनकार केशव सीताराम ठाकरे का परिवार बिहार से संबध रखता है।
राज ठाकरे की चुनावी राजनीति से दिलचस्पी इस कदर कम हो गई है उन्होंने पार्टी के नेताओं को सलाह दी है कि देश की इकॉनामी ठीक न होने के कारण विधानसभा चुनाव से उन सबको दूर रहना चाहिए। उन्होंने अपनी बात के समर्थन में जो तर्क दिए हैं वो उनके ही पार्टी के नेताओं के गले के नीचे नहीं उतर रही।