10 सितंबर 1924 को करीबन 4000 की मुस्लिम भीड़ ने 3000 हिंदुओं को इतना मजबूर कर दिया कि उन्हें भाग कर मंदिर में शरण लेनी पड़ी। जो पीछे छूटे उन्हें मार डाला गया।
लेखक व इतिहासकार विक्रम सम्पत ने कहा है कि महात्मा गाँधी की हत्या के बाद ब्राह्मण-विरोधी नरसंहार कॉन्ग्रेस नेताओं ने करवाया था। एक भी केस दर्ज नहीं किया गया था।