जारी किए गए सर्कुलर के फॉर्मेट के आधार पर पश्चिम बंगाल के अल्पसंख्यक मामलों और मदरसा शिक्षा विभाग (एमएएमईडी) ने सरकारी स्कूलों की तत्काल सूची माँगी है। जिनमें 70 प्रतिशत से अधिक मुस्लिम छात्र हैं। इसमें कहा गया है कि वो ऐसे स्कूलों की सूची 28 जून के भीतर दे दें।
भूमिहीन किसानों से लेकर व्यापारियों तक सैकड़ों लोग TMC के उन नेताओं का नाम सार्वजनिक तौर पर ले रहे हैं, जिन्होंने उनसे पैसा लिया था। ममता बनर्जी ने TMC के नेताओं को हर स्तर पर ‘कट मनी’ जिसे कमीशन भी कहा जाता है, वो वापस करने के लिए कहा है।
इससे पहले, पश्चिम बंगाल के उत्तर 24 परगना ज़िले के भाटपारा इलाक़े में एक बार फिर हिंसक झड़पें हुई थीं, जिसके बाद क्षेत्र में भाजपा का तीन सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल आया था। प्रतिनिधिमंडल की यात्रा के दौरान पश्चिम बंगाल पुलिस की निंदा करने वाले नारे लगाए गए।
राज्य में राजनीतिक हिंसा बेरोकटोक जारी है और भाजपा कार्यकर्ताओं और समर्थकों की हत्याएँ लगातार चिंता का विषय बनी हुई हैं। यहाँ तक कि महिलाओं को भी नहीं बख़्शा जा रहा है। हर दिन हालात बद से बदतर होते जा रहे हैं।
वह लगातार असमंजस में हैं कि कार्रवाई करें तो करें कैसे? अब उनकी मुश्किल थोड़ी आसान की है वहाँ के कुछ लोगों ने ही। बंगाल के कुछ लोगों ने मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को पत्र लिखकर हाल में घटित घटनाओं पर अपनी नाराजगी ज़ाहिर की है।
ममता बनर्जी ने सरकारी अस्पतालों में शिकायत निवारण सेल का निर्माण करने के डॉक्टरों के प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया है। ममता ने पश्चिम बंगाल के हर अस्पताल में नोडल पुलिस ऑफिसर तैनात करने का निर्देश दिया है।
टीएमसी विधायक सुनील सिंह ने कहा, “पश्चिम बंगाल की जनता सबका साथ सबका विकास चाहती है। दिल्ली में मोदी जी की सरकार है और हम चाहते हैं कि यही सरकार प्रदेश में भी बने। ताकि हम पश्चिम बंगाल का विकास कर सकें।”
इससे पहले डॉक्टरों ने राज्य सचिवालय में बनर्जी के साथ बैठक के प्रस्ताव को ठुकरा दिया था और इसकी बजाय उनसे गतिरोध सुलझाने को लेकर खुली चर्चा के लिए एनआरएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल आने को कहा था।
दिल्ली स्थित एम्स के डॉक्टरों की असोसिएशन ने भी ममता सरकार को दो दिन (48 घंटे) का अल्टिमेटम दिया है। उन्होंने कहा है कि यदि दो दिनों में पश्चिम बंगाल सरकार ने डॉक्टरों की माँगें स्वीकार नहीं की, तो फिर एम्स में भी अनिश्चितकालीन हड़ताल की जाएगी।
सवाल ज्यों का त्यों है, क्या उनकी सरकार डॉक्टरों के काम करने हेतु सुरक्षित माहौल दे सकेगी? क्या बंगाल में बीजेपी कार्यकर्ताओं की नृशंष हत्या का सिलसिला रुकेगा या राजनीतिक जंग के नाम पर बुरे से बुरे और बर्बर कृत्य को भी जायज ठहराने का सिलसिला यूँ ही जारी रहेगा? यह वक्त ही बताएगा।