'रावण' के झंडे का रंग भी नीला ही है जैसा कि बसपा का। चंद्रशेखर उसी दलित जाति 'जाटव' से संबंधित हैं जिससे मायावती, और उन्हीं की तरह वेस्ट यूपी ही जिसकी जन्मभूमि और कर्मभूमि रही है। चंद्रशेखर की जातीय पृष्ठभूमि और कार्य क्षेत्र को देखते हुए ही मायावती और उनकी बसपा ने भीम आर्मी चीफ को शुरू से एक प्रतिद्वंदी के तौर पर देखा।
मायावती ने रावण को बीजेपी का एजेंट करार देते हुए अपने समर्थकों को उससे दूर रहने को कहा था। बावजूद इसके उनकी पार्टी के कई पूर्व सांसद और विधायक नई पार्टी में शामिल हुए हैं।
बिजली विभाग के लखनऊ में स्थित एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि इस मामले का राजनीति से कोई लेना देना नहीं है। जहाँ भी बिल पेंडिंग हैं, वहाँ का बिजली कनेक्शन काटा जा रहा है। मायावती का घर भी इसी क्रम में बिजली विभाग की रडार पर आया।
“कॉन्ग्रेस, बीजेपी व अन्य पार्टियाँ यहाँ उत्तर प्रदेश में अपनी सरकार होने पर संत गुरु रविदास जी को कभी मान-सम्मान नहीं देती है, लेकिन सत्ता से बाहर होने पर फिर ये अपने स्वार्थ में इनके मन्दिरों/स्थलों आदि में जाकर किस्म-किस्म की नाटकबाजी जरूर करती हैं। इनसे सतर्क रहें।”
कपिल मायावती का बड़ा प्रशंसक है, जिसने मायावती के समर्थन में यूपी के विधानसभा चुनावों में जमकर प्रचार किया था। हालाँकि पेंच यह भी है कि जून 2017 से ही आरोपित युवक कपिल का फेसबुक अकाउंट बंद है। अब इसे लेकर पुलिस लगातार उससे पूछताछ कर रही है और...
मायावती के इस बयान का लाखों ने सोशल मीडिया पर ख़ूब मखौल उड़ाया। बसपा सुप्रीमो ने आरोप लगाया कि केंद्र सरकार पूरे देश भर में चल रहे आन्दोलनों के कारण परेशान हो गई है। बकौल मायावती, पूरे देश में महिला और युवा इस क़ानून के ख़िलाफ़ आंदोलन कर रहे हैं।
"अति दुःखद है कॉन्ग्रेस पार्टी के शीर्ष नेतृत्व व खासकर प्रियंका गाँधी की इस मामले में चुप्पी साधे रखना। अच्छा होता कि वह यूपी की तरह उन गरीब पीड़ित माँओं से भी जाकर मिलतीं, जिनकी गोद केवल उनकी पार्टी की सरकार की लापरवाही के कारण उजड़ गई हैं।"
मायावती ने कहा है कि उन्होंने सबसे पहले सीएए को विभाजनकारी और असंवैधानिक बताकर इसका विरोध किया था। बावजूद इसके विधायक परिहार ने CAA का समर्थन किया। पहले भी उन्हें कई बार पार्टी लाइन पर चलने की चेतावनी दी गई थी।
"मैं पार्टी कार्यकर्ताओं से अपील करती हूँ कि वे ऐसे सभी स्वार्थी तत्वों, संगठनों व पार्टियों से हमेशा सचेत रहें। वैसे ऐसे तत्वों को पार्टी कभी लेती नहीं है, चाहे वे कितना ही प्रयास क्यों न कर लें।"
"शिवसेना अपने एजेंडे पर कायम है। उसने CAB पर केंद्र का साथ दिया और अब सावरकर पर भी उसे कॉन्ग्रेस का रवैया बर्दाश्त नहीं है। फिर भी कांग्रेस महाराष्ट्र सरकार में बनी हुई है। यह नाटकबाजी है।"