पूरे वीडियो को देखने से पता चलता है कि अंसारी के साथ जय श्री राम बोलने को लेकर कोई जोर-जबरदस्ती नहीं की गई। उन्होंने खुद ही कहा कि राम सिर्फ भाजपा के नहीं, बल्कि सभी के हैं।
कई मौकों पर फैक्टचेकर ने जानबूझकर तथ्यों को तोड़ा-मरोड़ा ताकि अपने डेटाबेस में मुस्लिम पीड़ितों की संख्या बढ़ा सके। इसके लिए उसने उन मामलों को भी शामिल किया जहाँ पीड़ित और अपराधी दोनों ही मुस्लिम थे। कुछ ऐसे मामलों को भी हेट क्राइम डेटाबेस में महज इसलिए शामिल कर रखा है, क्यूँकि कथित तौर पर पीड़ित मुस्लिम और गुनहगार हिन्दू थे, जबकि बाद में ये मामले गलत साबित हो चुके हैं।
TV9 भारतवर्ष द्वारा 'कॉन्ग्रेस-वादी' पत्रकार सुप्रिया भरद्वाज की एक ऐसी रिपोर्ट शेयर की गई जिसमें दावा किया गया था कि पीएम मोदी भूतपूर्व पीएम मनमोहन सिंह से मिलने उनके निवास पर गए थे। इस रिपोर्ट में इस मीटिंग की 'एक्सक्लूसिव' रिपोर्टिंग का भी दावा किया गया था।
केंद्र सरकार को 'फ्री मेट्रो राइड' के संबंध में दिल्ली सरकार की ओर से कोई प्रस्ताव नहीं मिला है। फिर भी लगभग सभी मीडिया संस्थानों ने "केंद्र सरकार ने ख़ारिज/अस्वीकार या रिजेक्ट की केजरीवाल सरकार की महिलाओं के लिए 'फ्री मेट्रो राइड' योजना" जैसी भ्रामक और फेक रिपोर्ट प्रकाशित की।
सोशल मीडिया पर भी अरस्तू और सुकरात के बाद जन्मे कुछ 'महान विचारकों' ने जमकर इस घटना पर सत्संग और 'अच्छा महसूस होने वाला' साहित्य लिखा, लेकिन मुबंई पुलिस ने इस खबर की सच्चाई उजागर कर दी।
जनता कॉन्ग्रेस और उसके अध्यक्ष राहुल गाँधी को खदेड़कर भगा चुकी है, लेकिन लग ये रहा है कि जनता के सन्देश को कॉन्ग्रेस अभी भी स्वीकार कर पाने में असमर्थ है। इसीलिए अभी भी कॉन्ग्रेस की आई टी सेल और व्हाट्सएप्प यूनिवर्सिटी अपने युवराज को मसीहा बनाने के कार्यक्रम में तत्परता से जुटी हुई है।
कॉन्ग्रेस ने ट्विटर पर पूरी बेशर्मी के साथ एक ऐसी रिपोर्ट ट्वीट की है, जिसमें 2014 में RBI का 200 टन सोना स्विट्जरलैंड भेजने की बात कही गई है। कॉन्ग्रेस ने नेशनल हेराल्ड की एक ‘खोजी रिपोर्ट’ को टैग करते हुए लिखा, “क्या मोदी सरकार ने गुपचुप तरीके से RBI का 200 टन सोना 2014 में स्विट्जरलैंड भेजा?”
लेफ्ट विंग मीडिया 'द टेलीग्राफ' में लिखे गए एक प्रोपेगंडा पोस्ट में गुहा ने दावा किया कि नरेंद्र मोदी और उनके ख़ेमे ने एक अजेंडे के तहत पाकिस्तान के भीतर भारतीय सेना द्वारा किए गए आतंकरोधी ऑपरेशन को 'सर्जिकल स्ट्राइक' नाम दिया।
Faking News के लेख में जातिगत नजरिया तलाश कर 'दी लल्लनटॉप' ने इसे फ़ौरन लपक लिया और इसके सम्पादक ने आम चुनावों के बीच में इस खबर को प्रकाशित करने का निर्णय लिया। इंडिया टुडे समूह के इस समाचार वेबसाइट ने अपने पाठकों को मारक मजा देने की मम्मी कसम खाई है। हो सकता है, इसी कारण अपने दैनिक ‘कट्टर पाठकों’ की सोचने की क्षमता को भाँपते हुए ही उन्होंने इस रिपोर्ट समझाने का एक प्रयास किया हो।