हाथरस केस में हमने कुछ लीक ऑडियो पर रिपोर्ट की थी। इसमें से एक ऑडियो में इंडिया टुडे की पत्रकार तनुश्री पांडेय मृतका के भाई संदीप से ऐसा स्टेटमेंट देने के लिए बोल रही थीं, जिसमें मृतका के पिता आरोप लगाए कि उनके ऊपर प्रशासन की ओर से बहुत दबाव था।
जब शोषित समाज के वंचित कहे जाने वाले तबकों से हो और आरोपित तथाकथित ऊँची मानी जाने वाली जातियों से, तो मीडिया लिंचिंग के लिए एक बढ़िया मौका तैयार हो जाता है।
हाथरस में आरोपित की जाति पर जोर देने वाली रोहिणी सिंह जैसी लिबरल, बलरामपुर में दलित से रेप पर चुप हो जाती हैं? क्या जाति की तरह मजहब अहम पहलू नहीं होता?