Friday, September 13, 2024
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जिसने जसवंत सिंह को रुलाया, वो उन्हीं के नाम पर BJP-मोदी को कोस रहा: सुधींद्र कुलकर्णी की वरिष्ठ पत्रकार ने खोली पोल

2009 की उस बैठक में कुलकर्णी द्वारा की गई हरकत के लिए परेशान वेंकैया नायडू ने जसवंत सिंह से खेद जताया था और दिलासा दिया था। तब अपमानित जसवंत सिंह अपने आँसू पोछ रहे थे।

पूर्व भाजपा नेता सुधींद्र कुलकर्णी ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ में एक लेख लिख कर ये बताने की कोशिश की है कि कैसे वायपेयी-आडवाणी के विश्वासपात्र रहे पूर्व केंद्रीय मंत्री जसवंत सिंह एक ‘समावेशी और दयालु’ भारत चाहते थे और ‘मोदी-शाह की भाजपा’ में वो पूरी तरह से ‘मिसफिट’ नेता थे। इस लेख में सुधींद्र कुलकर्णी ने लिखा है कि अगर जसवंत सिंह स्वस्थ रहे होते तो उनका पीएम मोदी की ‘सांप्रदायिक ध्रुवीकरण’ की राजनीति से मोहभंग हो गया होता।

केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय के अंतर्गत आने वाले ‘राजा राममोहन रॉय लाइब्रेरी फाउंडेशन’ के अध्यक्ष कंचन गुप्ता ने दिवंगत जसवंत सिंह के नाम पर भाजपा और मोदी-शाह को कोसने वाले सुधींद्र कुलकर्णी को लेकर बड़ा खुलासा किया है। उन्होंने 2009 के लोकसभा चुनाव से पहले की एक घटना को याद किया, जब भाजपा का घोषणापत्र तैयार करने के लिए वेंकैया नायडू के घर पर बैठक चल रही थी।

कंचन गुप्ता ने बताया कि उस बैठक में उपस्थित सुधींद्र कुलकर्णी ने जसवंत सिंह के लिए आपत्तिजनक विशेषणों का इस्तेमाल करते हुए उन्हें ‘मूर्ख’ कहते हुए बोला था, “आपको गिनती तक गिनने नहीं आती है।” कंचन गुप्ता ने बताया कि ऐसा कह कर सुधींद्र कुलकर्णी वहाँ से गुस्से में निकल गए थे और अपमानित जसवंत सिंह अपने आँसू पोछ रहे थे। 2009 लोकसभा चुनाव में लालकृष्ण आडवाणी के नेतृत्व में भाजपा को बुरी हार मिली थी।

उसी सुधींद्र कुलकर्णी ने अब लिखा है कि भाजपा के पूर्व वरिष्ठों अरुण शौरी और यशवंत सिन्हा की तरह जसवंत सिंह भी आज की भाजपा और पीएम नरेंद्र मोदी के कड़े आलोचक होते। ज्ञात हो कि वाजपेयी सरकार में वित्त, रक्षा और विदेश मंत्रालय संभाल चुके जसवंत सिंह का 82 वर्ष की आयु में निधन हो गया। वो 5 सालों से कोमा में थे। कुलकर्णी ने दावा किया है कि जसवंत सिंह को बाद में भाजपा ने किनारे किया।

सुधींद्र कुलकर्णी इस लेख में ये दावा करने से भी नहीं चूके कि अगर जसवंत सिंह स्वस्थ होते तो वो पाते कि जिस पार्टी की उन्होंने 4 दशक तक सेवा की, वो अब पहचान में ही नहीं आ रही है – एकदम बदल गई है। उनके इसी लेख पर प्रतिक्रिया देते हुए कंचन गुप्ता ने 2009 की उस बैठक को याद किया, जिसमें कुलकर्णी द्वारा की गई हरकत के लिए परेशान वेंकैया नायडू ने जसवंत सिंह से खेद जताया और सांत्वना और दिलासा दिया था।

वाजपेयी सरकार के समय PMO में कार्यरत रहे कंचन गुप्ता ने बताया कि उस बैठक की एक-एक डिटेल्स उनके पास हैं। उन्होंने कुलकर्णी पर निशाना साधते हुए कहा कि अपनी चूक के लिए किसी वरिष्ठ नेता की मौत का इस्तेमाल करना एक नीचता भरा कृत्य है और उससे भी ज्यादा नीच है चुनावी प्रचार का खाका तैयार कर रहे नेताओं को ये कहना कि वो नरेंद्र मोदी (तब गुजरात के मुख्यमंत्री) को नज़रअंदाज़ करें। कंचन गुप्ता ने ‘इंडियन एक्सप्रेस’ के इस लेख की बखिया उधेड़ दी।

बता दें कि आईआईटी बॉम्बे से पढ़े सुधींद्र कुलकर्णी पहले वामपंथी पार्टी सीपीआई (एम) के नेता थे, जिन्होंने भाजपा तो 1996 में जॉइन की लेकिन वो 80 के दशक में राम मंदिर आंदोलन के समय से भी अटल बिहार वाजपेयी और लालकृष्ण आडवाणी के साथ काम करते आ रहे थे। उन्होंने प्रधानमंत्री कार्यालय में डायरेक्टर, कम्युनिकेशंस एंड रिसर्च के रूप में भी काम किया। अक्टूबर 2015 में पाकिस्तानी विदेश मंत्री की पुस्तक का लॉन्च आयोजित करने के कारण शिवसेना ने उनके चेहरे पर स्याही फेंकी थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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