आज होने वाले वाले बड़े फैसले के मद्देनज़र केंद्र ने विभिन्न एयरलाइन्स के टिकट बढ़ते दाम पर रोक लगाते हुए उसकी क़ीमत 7,000 रुपए कर दी थी जिससे अमरनाथ यात्री और पर्यटक घाटी से निकलने में काफ़ी मदद मिली।
तीनों आरोपितों ने काम पर लगने के साथ ही सेना के जवानों और कैंट क्षेत्र के अंदर की गतिविधियों को मोबाइल में रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया था। ये तीनों पाकिस्तानी जासूसों के लगातार सम्पर्क में थे और उन्हें सेना की गतिविधियों से जुड़ी सूचनाएँ भेजते थे।
चिनार कोर कमांडर लेफ्टिनेंट जनरल केजेएस ढिल्लन ने J&K की सभी माताओं से अनुरोध के स्वर में कहा कि अगर आज आपका बच्चा 500 रुपए के लिए पत्थरबाजी करता है, तो वह कल आतंकवादी बन जाएगा और संभवत: एक साल के भीतर मारा जाएगा।
शोपियाँ के पंडुशन इलाके में सेना की 34RR, SOG और CRPF की संयुक्त टीम इलाके को घेरकर तलाशी अभियान चला रही है। इसमें अभी तक 2-3 आतंकियों को घेरे जाने की खबर आ रही है।
कश्मीर के मौजूदा हालात को देखते हुए भारतीय वायु सेना और आर्मी को हाई ऑपरेशनल अलर्ट पर रखा गया है। CRPF और पारा-मिलिटरी की तुरंत तैनाती के लिए वायुसेना के C-17 हेवी लिफ्ट प्लेन को भी ऑपरेशनल मोड में रखने का आदेश है।
आरोपित सौरभ शुक्ला लगातार फोन और इंटरनेट के जरिए पाकिस्तान में बैठे आतंकी संगठन के आकाओं के संपर्क में रहता था। साथ ही इनसे अलग-अलग बैंक खाताओं में पैसे मंगवाकर आतंकियों तक सप्लाई करता था।
राज्य के कई गाँवों में 'विलेज डिफेंस कमिटी' गठित की गई है, जो भारतीय सुरक्षा बलों की देखरेख में काम करती है। लेकिन, पीडीपी ने सुरक्षा बलों को भी सांप्रदायिक रंग देना शुरू कर दिया है। पार्टी ने कहा कि सिर्फ़ स्थानीय हिन्दुओं को हथियारों से लैस किया जा रहा है।
डूरंड रेखा के पार पाक आतंकियों ने अफ़गान तालिबान और अफ़गान विद्रोही संगठन हक्कानी नेटवर्क के साथ हाथ मिला लिया। डूरंड रेखा अफ़गानिस्तान से पाकिस्तान को अलग करती है। यहाँ इनके चरमपंथी काडर को विध्वंसक गतिविधियों की ट्रेनिंग दी जाती है।
केंद्र सरकार ने इसी साल मई में 'जमात-उल-मुजाहिदीन बांग्लादेश', 'जमात-उल-मुजाहिदीन भारत' और 'जमात-उल-मुजाहिदीन हिंदुस्तान' तथा इसके सभी स्वरूपों को आतंकवादी संगठन की लिस्ट में शामिल किया है। ये मदरसों के माध्यम से दहशतगर्दी फैलाने का काम करते हैं।
एक वरिष्ठ भारतीय सेना अधिकारी ने बताया कि भारतीय सेना ऑपरेशनल मुद्दों के कारण कमांडर्स को सेवानिवृत्त करने के लिए उत्सुक नहीं है। हमलों की जाँच की गई है। आवश्यक कदम पहले ही उठाए जा चुके हैं। दिलचस्प बात यह है कि बेस के एक कमांडर ने हमले के दो दिन पहले ही कमान संभाली थी।