आतंकवादी संगठन जैश-ए-मोहम्मद (JeM) और लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के काडर भारत-पाकिस्तान की सीमा छोड़कर अफ़गानिस्तान की सीमा में शिफ़्ट हो गए हैं। इस वजह से भारत के राजनयिक मिशन और कार्यालयों को हाई अलर्ट पर रखा गया है। ऐसा माना जा रहा है कि आतंकी इन्हें निशाना बना सकते हैं। अपनी जान-माल की सुरक्षा के लिए पाकिस्तान के आतंकी अफ़गानिस्तान के प्रांत कुनार, ननगरहार, नूरिस्तान और कंधार में शिफ़्ट हो गए हैं। बता दें कि भारतीय वायु सेना द्वारा बालाकोट आतंकी कैंपों में की गई एयर स्ट्राइक के बाद आतंकियों ने अपना ठिकाना बदला है।
इसके अलावा भारतीय दूतावास पर एक और ख़तरा मंडरा रहा है। ऐसी आशंका है कि विस्फ़ोट से भरी कार के ज़रिए काबुल में स्थित भारतीय दूतावास पर आतंकी हमला करने की फ़िराक में हैं। वहीं, कंधार में भारतीय वाणिज्य दूतावास पर तालिबानी हमला होने की भी आशंका है।
India’s diplomatic missions and offices in #Kabul and #Kandahar have been put on high alert – after intelligence inputs indicated that cadre of terror groups #JeM and #LeT have shifted to Kunar, Nangarhar, Nuristan and Kandahar provinces of #Afghanistan after #balakotairstrikes. pic.twitter.com/qz1oDPButp
— IndianDefenceUpdates (@defencealerts) July 7, 2019
ख़बर के अनुसार, डूरंड रेखा के पार पाक आतंकियों ने अफ़गान तालिबान और अफ़गान विद्रोही संगठन हक्कानी नेटवर्क के साथ हाथ मिला लिया है। डूरंड रेखा अफ़गानिस्तान से पाकिस्तान को अलग करती है। यहाँ इनके चरमपंथी काडर को विध्वंसक गतिविधियों की ट्रेनिंग दी जाती है। यही एक मुख्य वजह थी जिसके कारण मोदी सरकार ने पाकिस्तान की इमरान ख़ान सरकार द्वारा 1-2 जुलाई को लश्कर नेताओं और आतंकी फंडिंग से जुड़े पाँच चैरिटी संगठनों पर की गई कार्रवाई पर विश्वास नहीं किया था।
भारतीय सुरक्षा एजेंसियों का मानना है कि आतंकी काडर डूरंड लाइन के पार शिफ़्ट हो गए हैं। जिससे इस साल के अंत में पेरिस सम्मेलन में वित्तीय कार्रवाई कार्य बल (FATF) पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट न कर सके। यह संस्था दुनियाभर में आतंकी लेन-देन पर कड़ी नज़र रखता है और इसने पाकिस्तान को ग्रे लिस्ट में डाला रखा है।