तृणमूल कॉन्ग्रेस हाथरस मामले में खुद को ‘न्याय के योद्धा’ के रूप में चित्रित करने की कोशिश कर रही है, मगर सच्चाई तो यह है कि बलात्कार जैसे संवेदनशील मुद्दों पर पार्टी का ट्रैक रिकॉर्ड गंभीर सवाल उठाता है।
घटना के कुछ देर बाद रिकॉर्ड किए गए वीडियो में पीड़िता और उनकी माँ ने बलात्कार की बात नहीं कही लेकिन मुख्य अभियुक्त का नाम लिया है और हत्या के प्रयास की बात की है।
आरोपित ताहिर फैशन अड्डा नाम से कपड़ों की दुकान चलाता था। युवती को बंधक बनाने के बाद ताहिर ने उस पर शादी का दबाव भी बनाया था लेकिन पीड़िता ने उसकी यह बात स्वीकार नहीं की।
अनुराग कश्यप ने एक विस्तृत बयान दिया और एफआईआर में उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों का खंडन किया। मुंबई पुलिस अब उनके लंबे बयानों को सत्यापित करने के लिए तैयारी कर रही है।
जब शोषित समाज के वंचित कहे जाने वाले तबकों से हो और आरोपित तथाकथित ऊँची मानी जाने वाली जातियों से, तो मीडिया लिंचिंग के लिए एक बढ़िया मौका तैयार हो जाता है।
हाथरस में आरोपित की जाति पर जोर देने वाली रोहिणी सिंह जैसी लिबरल, बलरामपुर में दलित से रेप पर चुप हो जाती हैं? क्या जाति की तरह मजहब अहम पहलू नहीं होता?
आरोपित अब्बू, गुलाम रसूल ने पिछले 1 साल से अपनी ही 16 साल की बेटी को हवस शिकार बनाया। वहीं लगातार दुष्कर्म के बाद जब उसकी बेटी 7 माह गर्भवती हो गई तब मामले का खुलासा हुआ।