ऐसे बहुत से विदेशी नागरिक हैं जो भारतीय परंपराओं को सर्वोपरि मानते हैं और उसे आत्मसात करने का पूरा प्रयास करते हैं। हमारे देश की सभ्यता का गुणगान जब दूसरे देश के लोग करते हैं तो शायद ही ऐसा कोई भारतीय होगा जिसका सिर गर्व से ऊँचा नहीं उठेगा।
ब्रिटिश राज के दौरान ग़रीब हिन्दुओं को ईसाई बनाया गया था। आज उन्हें पाकिस्तान के चर्चों, घरों व स्कूलों में मारा जा रहा है। उनके पक्ष में बोलने वाले मंत्री व गवर्नरों तक की हत्या कर दी जाती है। समझें ईशनिंदा क़ानून का व्यापक और कुटिल कुचक्र।
पिछले साल जब कंप्यूटर बाबाजी को मार्च में शिवराज सरकार ने राज्यमंत्री का दर्जा दिया था, उस समय वह और योगेन्द्र महंतजी 15-दिवसीय नर्मदा स्कैम यात्रा निकालने की तैयारी कर रहे थे।
खड़े हुए हनुमान जी की मूर्तियाँ कई जगह इससे बड़ी-बड़ी हैं लेकिन इस पोज में बनी यह ऐसी पहली विशाल मूर्ति है। इस मूर्ति का निर्माण राजस्थान के आर्किटेक्ट नरेश ने किया है।
एक शिक्षित समुदाय के बीच इस तरह का चलन शोभा नहीं देता। अगर आँकड़ों की बात करें तो पता चलता है कि पिछले एक दशक में जैन समुदाय की जनसंख्या में 50% की वृद्धि आई है। ऐसे में जैन समिति के बीच इस तरह की बेचैनी का कोई कारण नहीं बनता।
पांडवों के अज्ञातवास काल में युधिष्ठिर ने लाखामंडल स्थित लाक्षेश्वर मंदिर के प्रांगण में जिस शिवलिंग की स्थापना की थी, वह आज भी विद्यमान है। इसी लिंग के सामने दो द्वारपालों की मूर्तियाँ हैं, जो पश्चिम की ओर मुँह करके खड़े हैं।
पौराणिक मान्यता है कि माता सती की मृत्यु होने पर जब शिव रोए थे तो उनके अश्रुओं से एक नदी बन गई थी। इस नदी से दो सरोवर बने। एक तो भारत के पुष्कर में है और दूसरी पाकिस्तान के कटासराज में।
Nike वाला डिज़ाइनर हिजाब किसी विशेष धर्म की कुरीतियों को बढ़ावा देना नहीं तो और क्या है कि अब दौड़ के मैदान में भी एक लड़की 'खिलाड़ी' बनकर नहीं बल्की 'मुस्लिम खिलाड़ी' बनकर दौड़ेगी।