सत्ता के लिए भीम को मीम के साथ आना पड़ा। गेस्टहाउस कांड वाले बुआ-भतीजा हो गए। बात दलितों की कभी हुई ही नहीं, बात हमेशा गणित की, सीट पाने की, सत्ता में पहुँचने की थी। लालू-मुलायम-माया-सोनिया आदि ने दलितों-गरीबों को दलित और गरीब रखने पर विशेष काम किया।
अधिकारियों ने बताया कि निजी क्षेत्र में आरक्षण दिए जाने की व्यवहारिकता, स्वीकार्यता, संभावनाओं और प्रभावों पर विचार-विमर्श किया जाएगा। सरकार इसके लिए व्यापार जगत से बातचीत करेगी और उनकी प्रतिक्रिया आते ही इसे मूर्त रूप दिया जाएगा।
याचिका में कहा गया है कि राज्य सरकार ने राजनीतिक दबाव में यह फैसला किया है। साथ ही इस फैसले से सुप्रीम कोर्ट द्वारा निर्धारित आरक्षण की 50 फीसदी सीमा का उल्लंघन भी होता है। एसईबीसी आरक्षण कानून मराठा समुदाय को शिक्षा में 12 और नौकरी में 13 फीसदी आरक्षण प्रदान करता है। इस कानून के पास होने के बाद महाराष्ट्र में आरक्षण की सीमा बढ़कर 68 फीसदी हो गई है।
कोर्ट ने महाराष्ट्र में सरकारी नौकरियों और शिक्षा में मराठा समुदाय के लिए आरक्षण की वैधता को बरकरार रखते हुए कहा कि मराठा आरक्षण को 16% से घटाकर 12 या 13% करना चाहिए।
कैबिनेट की मंजूरी से, 158 केंद्रीय शैक्षिक संस्थानों में 2019-20 शैक्षणिक सत्र के दौरान 2 लाख से अधिक अतिरिक्त सीटें बनाई जाएँगी, जबकि 2020-21 में 95,783 सीटें जोड़ी जाएँगी।
इस तरह के विवादित चित्र देखकर पता चलता है कि भीमराव अम्बेदकर को हम सबने कितने गलत तरीके से पढ़ा है। हमने उनके नाम पर समाज को सवर्ण और दलित के टकराव में झोंका है। हमने अम्बेदकर की गलत व्याख्या कर के पवित्र मानकों को अपमानित कर एक बड़े हिस्से को ठेस लगाकर हम बाबा साहब अम्बेदकर के दोषी बन चुके हैं।
ख़ुद केजरीवाल का जन्म हरियाणा स्थित भिवानी में हुआ। पढ़ाई के लिए वो पश्चिम बंगाल गए। नौकरी उन्होंने झारखण्ड के जमशेदपुर में की। समाज सेवा उन्होंने कोलकाता में की। राजनीति वो दिल्ली में कर रहे हैं। हाँ, इलाज कराने वो बंगलुरु जाते हैं। इसके लिए उन्हें किसी आरक्षण की ज़रूरत पड़ी क्या?
2019 में 26 साल बाद सरकार ने इन नियमों की समीक्षा के लिए कुछ विशेषज्ञों की समिति का गठन किया है। इस समिति का नेतृत्व भारत सरकार के पूर्व सचिव बीपी शर्मा द्वारा किया जाएगा।