दिल्ली का जामा मस्जिद, जिसे शाहजहाँ ने बनवाया था। औरंगज़ेब के आदेश से मंदिरों से लूटी गईं हिन्दू देवी-देवताओं की प्रतिमाओं को जामा मस्जिद की सीढ़ियों के नीचे दफ़न कर दिया गया था। इसका सबूत है 'मसीर-ई-आलमगीरी', जो औरंगज़ेब की जीवनी है। पढ़िए क्या लिखा है इसमें?
"घाटी में पिछले 20 सालों से कोई सिनेमा नहीं खुला हुआ है, इसलिए हम एक सिनेमा खोलने की भी सोच रहे हैं। हम उन स्कूलों, सिनेमाघरों और मंदिरों का सर्वेक्षण करवाएँगे जिन्हें बंद कर दिया गया है।"
"कोई भी मंदिर की पवित्रता से खिलवाड़ नहीं कर सकता। ख़ुद की तुलना भगवान से करने का हक़ किसी को नहीं है। टीआरएस का चुनाव चिह्न कार चाप को उकेरा जाना असंवैधानिक है। यह धर्म को राजनीति से मिलाने की एक साज़िश है।"
वैष्णव मान्यताओं में इस कहानी की प्रतीकों के रूप में मान्यता भी है। ऐसा माना जाता है कि हाथी यहाँ जीव का स्वरूप है, मगरमच्छ उसके पाप और माया हैं, जिस नदी के कीचड़ जैसे स्थान में हाथी मगरमच्छ के जबड़े में फँसा है, वो कीचड़ संसार है।