हुर्रियत कॉन्फ्रेंस के दोनों धड़ों को मोदी सरकार बैन कर सकती है। संगठन पर अनलॉफुल एक्टिविटीज प्रिवेंशन एक्ट (UAPA) की धारा 3 (1) के तहत कार्रवाई की संभावना है।
शेर मोहम्मद अब्बास स्टानिकजई ने सोवियत-अफगान युद्ध और अफगानिस्तान की मुक्ति के लिए लड़ाई लड़ी। इसके बाद साल 1996 में सेना छोड़ दी और तालिबान में शामिल हो गए।
अफगानिस्तान में तालिबान ने बुर्का नहीं पहनने पर महिला को गोली मार दी। काबुल एयरपोर्ट से लोगों को खदेड़ने के लिए धारदार हथियारों, गोली का इस्तेमाल कर रहा है।
जब सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात जैसे देश सुधारों का जोखिम उठा सकते हैं तो पूरी दुनियाँ को सभ्यता सिखाने वाले पश्चिमी देश अफगानिस्तान से आँखें मूँदकर कैसे भाग सकते हैं?