Thursday, April 25, 2024
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‘JNU और TISS के छात्रों को आतंकी संगठनों ने किया था भर्ती, अपनी सरकार बनाना चाहते थे भीमा-कोरेगाँव के आरोपित’: NIA

आरोपित CPI (माओवादी) के सदस्य थे। इनकी साजिश थी कि छात्रों को आगे कर के आतंकी गतिविधियों को किया जाए, ताकि इन्हें अंतरराष्ट्रीय संगठनों व बुद्धिजीवियों का समर्थन मिले।

राष्ट्रीय जाँच एजेंसी (NIA) ने कहा है कि दिल्ली में स्थित JNU और मुंबई में स्थित TISS के छात्रों को भीमा-कोरेगाँव मामले में आतंकी गतिविधियों के लिए भर्ती किया गया था। NIA ने 17 पन्नों का एक दस्तावेज अदालत में डाफ्ट चार्जेज के रूप में पेश किया है। जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी (JNU) और टाटा इंस्टिट्यूट ऑफ सोशल साइंसेज (TISS) पहले से ही वामपंथी गतिविधियों के लिए बदनाम रहा है।

NIA ने बताया है कि इन दोनों ही शैक्षिक संस्थानों के छात्रों को आतंकी गतिविधियों के लिए बहाल किया गया था। भीमा-कोरेगाँव के जो आरोपित हैं, उन्हीं अर्बन नक्सलियों ने इन छात्रों को बहाल किया था। NIA के अनुसार, इन आरोपितों की साजिश थी कि सारे आरोपित प्रतिबंधित संगठनों से ताल्लुक रखते थे और एक समानांतर ‘जनता सरकार’ की स्थापना करना चाहते थे। साजिश थी कि सरकार की शक्ति को छीन कर एक सशस्त्र सत्ता खड़ी की जाए।

आरोपित CPI (माओवादी) के सदस्य थे। इनकी साजिश थी कि छात्रों को आगे कर के आतंकी गतिविधियों को किया जाए, ताकि इन्हें अंतरराष्ट्रीय संगठनों व बुद्धिजीवियों का समर्थन मिले। 15 आरोपितों के खिलाफ NIA ने 17 ड्राफ्ट आरोप तय किए हैं। ये आरोपित मानवाधिकार और सिविल अधिकारों के एक्टिविस्ट्स के रूप में एक अलग मुखौटा पहने हुए थे। इनके खिलाफ IPC UAPA की धाराएँ लगाई गई हैं।

आतंकवाद के लिए इन्होंने फंड्स भी इकट्ठे किए। इसके लिए प्रतिबंधित आतंकी संगठन के बैनर तले काम किए जा रहे थे। इनका मकसद था कि दलितों व अल्पसंख्यकों को सरकार के खिलाफ भड़काया जाए और उनमें देशविरोधी भावनाएँ भरी जाएँ। भारत सरकार व महाराष्ट्र सरकार के खिलाफ ‘युद्ध’ के लिए हथियारों का वितरण भी किया गया था। नेपाल व मणिपुर के हथियार सप्लायर्स से इसके लिए संपर्क किया गया था।

हाल ही में भीमा-कोरेगाँव मामला तब चर्चा में आया था जब बॉम्बे हाईकोर्ट के जज जस्टिस एसएस शिंदे ने आतंकवाद के आरोपित स्टेन स्वामी की तारीफों के पुल बाँधे थे। बता दें कि स्टेन स्वामी नक्सली था। साथ ही वो भीमा-कोरेगाँव मामले में आरोपित भी था। देश के मुख्य न्यायाधीश (CJI) को पत्र लिख कर कहा था कि जस्टिस शिंदे को भीमा-कोरेगाँव केस से अलग होने को कहा जाए। स्टेन स्वामी की ट्रायल के दौरान ही मौत हो गई थी।

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ऑपइंडिया स्टाफ़
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कार्यालय संवाददाता, ऑपइंडिया

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