आजाद भारत के इतिहास में आपातकाल का काला दौर आज भी लोगों की स्मृतियों से धुँधला नहीं हुआ है। यही वजह है कि 94 साल की विधवा वीरा सरीन 45 साल बाद इंसाफ माँगने सुप्रीम कोर्ट पहुँची हैं।
मीटिंग 3 दिसंबर को तय की गई है और हम तब तक यहीं पर रहने वाले हैं। अगर उस मीटिंग में कुछ हल नहीं निकला तो बैरिकेड तो क्या हम तो इनको (शासन प्रशासन) ऐसे ही मिटा देंगे।
"..अपनी बेटी को PM पद के लिए तैयार किया जाना था, फिर मोरारजी देसाई और जगजीवन राम – दो महत्वाकांक्षी, सक्षम और प्रभावशाली प्रतिद्वंद्वियों को हटाना, और अंत में.."
"इंदिरा गाँधी भी इन मामलों में अपने पिता जैसी थीं। जैसे ही कोई इंदिरा गाँधी से असहमत होता या उनके सामने तर्क रखने का प्रयास करता वह मेज पर रखे लिफ़ाफ़े और कागज़ उठाने लगतीं। जिससे ऐसा लगे कि उनके पास करने के लिए और भी ज़रूरी काम हैं।"