Monday, November 18, 2024

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इतिहास

हर दिन मंदिर में काटी गाय, गिराए दसियों मंदिर: मोइनुद्दीन चिश्ती और उसके शागिर्दों का सच

निजामुद्दीन चिश्ती जैसों के 'शांतिपूर्ण सूफीवाद' का मिथक खूब फैलाया गया है। लेकिन वास्तविकता यही है कि ये जिहाद को बढ़ावा देने, 'काफिरों' के धर्मांतरण के लिए ही भारत आए थे।

बारूद और खून की गंध से अपना मनोरंजन करने वाला हत्यारा: चे ग्वेरा, जिसने नेहरू को गिफ्ट किया था सिगार

टीशर्ट से लेकर बिकनी तक पर आज जिसकी फोटो छपवाई जाती है, वो एक ऐसा हत्यारा था जिसके लिए हत्या करना मनोरंजन के समान था। फिर भी उसे नायक बना दिया गया।

एर्टुग्रुल: एक सिरफिरा लुटेरा, हत्यारा और बलात्कारी कैसे बन गया दक्षिण एशिया के मुस्लिमों का नायक?

एर्टुग्रुल को इतिहासकारों ने ‘गाजी’ कहकर संबोधित किया है। इस्लाम में ‘गाजी’ की उपाधि मूर्तिपूजकों, गैर-मुस्लिमों, अल्लाह को न मानाने वाले अथवा काफिरों की हत्या करने वाले को दी जाती है।

प्रदर्शनकारियों ने अब नई दुनिया के खोजकर्ता कहे जाने वाले कोलंबस की मूर्ति को तोड़ा, निशाने पर हैं उपनिवेशवाद के प्रतीक

प्रदर्शनकारियों ने अब उपनिवेशवाद और अश्वेतों की गुलामी को समर्थन देने वालों की मूर्तियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है और उन्हें हटाए जाने की माँग भी जोर-शोर से उठ रही हैं।

पुष्यमित्र शुंग: सनातन संस्कृति का ध्वजवाहक, जिसका स्वर्णकाल वामपंथी प्रोपेगेंडा की भेंट चढ़ गया

पुष्यमित्र शुंग ने भारतवर्ष में क्षीण हो रहे सनातन धर्म की पुनर्स्थापना का स्वप्न देखा था। इसकी वजह से वामपंथी इतिहासकारों ने उसे नरसंहारक और कट्टर के तौर पर पेश किया।

जब तिब्बत की संस्कृति और लोगों को तबाह कर रहा था चीन, उसके सैनिकों के लिए नेहरू ने भेजे थे चावल

आत्ममुग्ध नेहरू ने ​कई भूल किए। इनमें से एक तिब्बत भी है। विश्वनेता बनने की उनकी चाह ने चीन की सभी इच्छाएँ पूरी की थी।

ब्राह्मणों को बदनाम करने से लेकर इस्लामी आक्रांताओं के महिमामंडन तक: NCERT पुस्तकों में गड़बड़ी पर नीरज अत्री से बातचीत

ब्राह्मणों को बदनाम करने से लेकर इस्लामी आक्रांताओं के महिमांडन तक, NCERT की पुस्तकों में गड़बड़ी पर अजीत भारती की नीरज अत्री से बातचीत।

जब लोकमान्य तिलक की प्रेस को बिकने से बचाने के लिए लोगों ने जुटाए थे ₹3 लाख

अभिव्यक्ति की आजादी के लिए राष्ट्रवादी विचारधारा को वही संघर्ष आज भी देखना पड़ता है, जिससे एक समय लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को गुजरना पड़ा था।

गोवा का हाथ काटरो खम्भ: मौत का वह स्तम्भ जहाँ जेवियर के अनुयायी हिन्दुओं को काट दिया करते थे

भारत के अधिकांश शहरों में “संत” ज़ेवियर के नाम पर स्कूल-कॉलेज हैं। लेकिन गोवा में एक स्तंभ ऐसा भी है जिसे उसके अनुयायियों ने हिंदुओं के रक्त से सींचा था।

जब अंग्रेज सावरकर को कोल्हू में बैल की जगह जोतते थे, जब गाँधी अफ्रीका से भारत लौटे भी नहीं थे: कहानी कालापानी की

उनसे छिलके कूटवाए जाते। कोल्हू का बैल बना कर दिन भर जोता जाता। उन्हें रस्सी बाँटने का काम दिया जाता। प्रताड़ना ऐसी कि आत्महत्या के ख्याल आते।

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