निजामुद्दीन चिश्ती जैसों के 'शांतिपूर्ण सूफीवाद' का मिथक खूब फैलाया गया है। लेकिन वास्तविकता यही है कि ये जिहाद को बढ़ावा देने, 'काफिरों' के धर्मांतरण के लिए ही भारत आए थे।
एर्टुग्रुल को इतिहासकारों ने ‘गाजी’ कहकर संबोधित किया है। इस्लाम में ‘गाजी’ की उपाधि मूर्तिपूजकों, गैर-मुस्लिमों, अल्लाह को न मानाने वाले अथवा काफिरों की हत्या करने वाले को दी जाती है।
प्रदर्शनकारियों ने अब उपनिवेशवाद और अश्वेतों की गुलामी को समर्थन देने वालों की मूर्तियों को निशाना बनाना शुरू कर दिया है और उन्हें हटाए जाने की माँग भी जोर-शोर से उठ रही हैं।
पुष्यमित्र शुंग ने भारतवर्ष में क्षीण हो रहे सनातन धर्म की पुनर्स्थापना का स्वप्न देखा था। इसकी वजह से वामपंथी इतिहासकारों ने उसे नरसंहारक और कट्टर के तौर पर पेश किया।
भारत के अधिकांश शहरों में “संत” ज़ेवियर के नाम पर स्कूल-कॉलेज हैं। लेकिन गोवा में एक स्तंभ ऐसा भी है जिसे उसके अनुयायियों ने हिंदुओं के रक्त से सींचा था।